मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
आज ओजोन परत संरक्षण दिवस है। चूंकि 1987 में 16 सितंबर को ही मॉन्ट्रियल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे, इसलिए हर वर्ष इस दिन यह दिवस मनाया जाता है।
ओजोन परत की खस्ता हालत की जानकारी 1974 में अमेरिकी रसायनशास्त्री एफ शेरवुड रॉलैंड और मैरिनो मोलिना ने दी। उन्होंने बताया कि क्लोरोफ्लोरो कार्बन (सीएफसी) सूर्य की किरणों से प्रतिक्रिया कर क्लोरीन और क्लोरीन मोनोक्साइड के अणु उत्सर्जित करते हैं, जो ओजोन को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
परिणामस्वरूप 1974 में अमेरिका, नॉर्वे, स्वीडन और कनाडा जैसे देशों ने उन एयरोसोल के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया, जिनमें सीएफसी का उपयोग होता है। ओजोन को बचाने की इन्हीं कोशिशों के तहत वियना सम्मेलन में मॉन्ट्रियल संधि पारित की गई।
इस संधि के तहत वर्ष 1994 तक सीएफसी का स्तर 1986 के स्तर के 80 फीसदी तक करने और वर्ष 1999 तक 1986 के स्तर के 50 फीसदी तक करने का लक्ष्य रखा गया। हालांकि यह लक्ष्य अब भी दूर है, लेकिन हाल ही में ओजोन परत में सुधार के संकेत देखे गए हैं
और माना जा रहा है कि इस सदी के मध्य तक यह पूरी तरह ठीक हो सकती है। वैसे भारत ने पहली अगस्त, 2008 को ही सीएफसी के उत्पादन पर रोक लगा दी है।