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Thursday, 30 January 2014

थिंक टैंक

थिंक टैंक

पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के थिंक टैंक ऐंड सिविल सोसाइटीज प्रोग्राम (टीटीसीएसपी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के मात्र छह थिंक टैंक ही शीर्ष 150 वैश्विक थिंक टैंक में जगह बना पाए हैं। गौरतलब है कि दुनिया भर में करीब 4,500 थिंक टैंक हैं।

 थिंक टैंकों की संख्या के हिसाब से अमेरिका (1828), चीन (426), ब्रिटेन (287) के बाद भारत (268) का स्थान है। थिंक टैंक उन संस्थानों को कहा जाता है, जो सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य, विदेश नीति, तकनीकी एवं संस्कृति जैसे विषयों पर अनुसंधान एवं रणनीति तैयार करते हैं। ज्यादातर थिंक टैंक (नीति निर्माण या अनुसंधान संस्थान) गैर-लाभकारी संगठन होते हैं

 लेकिन कुछ संस्थान सरकार या विभिन्न समूहों की वित्तीय सहायता से चलते हैं। मौजूदा अर्थ में ′थिंक टैंक′ शब्द का इस्तेमाल 1950 के दशक में हुआ, लेकिन ऐसे संगठन 19वीं शताब्दी से ही अस्तित्व में हैं। मसलन, लंदन के द इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस ऐंड सिक्योरिटी स्टडीज की स्थापना 1831 में ही हुई थी, ब्रिटेन की फैबियन सोसाइटी 1884 से ही अस्तित्व में है। 

वाशिंगटन के मूल थिंक टैंक ब्रूकिंग्स संस्थान की स्थापना 1916 में की गई थी। 1945 के बाद कई लोगों द्वारा विभिन्न मुद्दे एवं नीति एजेंडा को व्यक्त करने के लिए काफी संख्या में थिंक टैंक गठित किए गए। बाद में थिंक टैंक उन संगठनों को भी कहा जाने लगा, जो सैन्य परामर्श देते थे। 

1980 के दशक में शीतयुद्ध की समाप्ति, भूमंडलीकरण और अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के उभरने के चलते दुनिया भर में थिंक टैंकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ। आज जितने भी थिंक टैंक हैं, उनमें से दो-तिहाई 1970 के बाद बने हैं और आधे से अधिक की स्थापना 1980 के दशक में हुई है।

Wednesday, 29 January 2014

baby animal name

What young animals are called
Antelope(bull) - calf
Bear - cub
Beasts of prey - whelp
Beaver - kit
Birds - fledgling, nestling
Cat - kitten
Codfish - codling, sprat
Cow - calf
cock- chick
Deer - fawn, yearling
Dog - pup, puppy
Duck - duckling
donkey- colt
Eagle - eaglet
Eel - elver
Elephant - calf
Elephant seal - weaner
Fish - fry
Fowl - chick, chicken
Fox - cub, pup
Frog - polliwog, tadpole
Goat - kid
Goose - gosling
Grouse - cheeper
Guinea fowl - keet
Hawk - eyas
Hen - pullet
Hippo - calf
Horse - foal, yearling, or colt (male), filly (female)
Kangaroo - joey
Lion - cub
Owl - owlet
Partridge - cheeper
Pig - piglet, shoat, farrow, suckling
Pigeon - squab, squeaker
Quail - cheeper
Rabbit - bunny, kit
Rat - pup
Rhino - calf
Rooster - cockerel
Salmon - parr, smolt, grilse
Seal - pup
Shark - cub
Sheep - lamb, lambkins
Swan - cygnet
Tiger - cub, whelp
Turkey - poult
Whale - calf
Zebra - foal

यूरोमैदान

यूरोमैदान

इन दिनों यूरोमैदान नाम का एक शब्द सुर्खियों में है, जिसका संबंध पूर्वी यूरोप में स्थित देश यूक्रेन से है। यह देश इन दिनों भयंकर विरोध-प्रदर्शनों एवं हिंसा की चपेट में है। राजधानी कीव के इलाके में हो रहे इन प्रदर्शनों को यूरो-मैदान नाम दिया गया है।

 पूर्व एवं पश्चिम के भाषाई संयोग से बने इस शब्द पहला हिस्सा ′यूरो′ का मतलब है यूरोप, लेकिन दूसरा हिस्सा ′मैदान′ फारसी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है खुली जगह। संभवतः यह शब्द ओट्टोमन से होते हुए यूक्रेन पहुंचा है। यूरोमैदान का संदर्भ कीव के प्रमुख इंडिपेंडेस स्क्वायर से है, जिसे द्वितीय विश्वयुद्ध की तबाही के बाद आठ एकड़ में स्टालिन युग में फिर से सार्वजनिक स्थल के रूप में तैयार किया गया था। 

यह चौराहा 2004 के ऑरेंज रिवोल्यूशन के दौरान भी सुर्खियों में था। करीब 6,03,628 वर्ग किलोमीटर में फैला यूक्रेन यूरोप का सबसे बड़ा देश है, जहां सरकार विरोधी यह प्रदर्शन पिछले वर्ष नवंबर में तब शुरू हुआ, जब राष्ट्रपति ने यूरोपीय संघ में शामिल होने वाले समझौते को मानने से इन्कार कर दिया। इस समझौते के लिए वर्षों से प्रयास हो रहे थे।

 पर इस प्रदर्शन ने हिंसक रूप तब ले लिया, जब इस वर्ष 22 जनवरी को विरोध प्रदर्शनों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने सख्त कानून लागू कर दिया। घोड़ों को सबसे पहले पालतू बनाने वाले इस देश के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने सरकार विरोधी प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए विपक्षी नेताओं को प्रधानमंत्री पद की भी पेशकश की, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उसे ठुकरा दिया और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। यूक्रेन सोवियत गणराज्य से 24 अगस्त, 1991 को स्वतंत्र हुआ। 4.6 करोड़ लोगों का यह देश लंबे समय तक दुनिया के लिए खाद्यान्न का कटोरा रहा है।

Thursday, 23 January 2014

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दक्षिण अफ्रीका की कुलीनन खान

कुलीनन खान

दक्षिण अफ्रीका की कुलीनन खान से एक नीले रंग का दुर्लभ हीरा निकाला गया है, जो 29.6 कैरेट का है। इस खान को प्रीमियर माइन भी कहा जाता है। गाजर के आकार के ज्वालामुखीय गर्दन वाले किंबरलाइट पाइप पर स्थित इस खान से सबसे पहले 1871 में 83.5 कैरेट का हीरा मिला था। लेकिन यहां खुली खुदाई के जरिये खनन का काम 1903 में शुरू हुआ। 

दुनिया का ध्यान इसने पहली बार तब आकर्षित किया, जब 25 जून,1905 को इस खान से 3108 कैरेट का असाधारण हीरा निकला, जो अब तक पाया जाने वाला सबसे बड़ा अनगढ़ हीरा है। तब से लेकर अब तक इस खदान से 12 करोड़ कैरेट हीरा निकाला जा चुका है। 

यह खान दुनिया भर में नीले हीरे का सबसे बड़ा स्रोत है। इस खान से निकले अन्य महत्वपूर्ण हीरों में 755 कैरेट का गोल्डन जुबिली, 600 कैरेट का सेंटेनरी और 530 कैरेट का ग्रेट स्टार ऑफ अफ्रीका महत्वपूर्ण हैं। ग्रेट स्टार ऑफ अफ्रीका नामक हीरे को किंग एडवर्ड सप्तम को उपहार में दिया गया था, जो बाद में ब्रिटिश शाही आभूषणों का हिस्सा बन गया। मई, 2009 में भी इस खान में 26.6 कैरेट का अनगढ़ हीरा मिला था, 

जो एक करोड़ डॉलर में नीलाम हुआ। इस खदान में 507 कैरेट का एक सफेद हीरा भी मिला था। वर्ष 2008 में डी बीयर्स नामक कंपनी से पेट्रा डायमंड कंपनी ने इस खदान का 37 फीसदी हिस्सा खरीदा था, जिसे उसने 2009 में बढ़ाकर 74 फीसदी कर लिया। अभी पेट्रा डायमंड कंपनी ही इसका स्वामी है

, जो अयस्क पत्थरों को ड्रिलिंग एवं ब्लास्टिंग (ब्लॉक केव माइनिंग मेथड) के जरिये इसमें खनन का काम करती है। इस खदान का जीवन अभी 50 वर्षों से ज्यादा है और यह दुनिया के 25 फीसदी हीरों का उत्पादन करती है।

Wednesday, 22 January 2014

पोलर वॉर्टेक्स (ध्रुवीय चक्रवात)

पोलर वॉर्टेक्स

अमेरिका के मध्य और पूर्वी इलाके आर्कटिक से आने वाली सर्द हवाओं की चपेट में है, जिसे पोलर वॉर्टेक्स की वापसी बताया जा रहा है। इससे पहले इसी महीने के शुरू में अमेरिका और कनाडा में सर्दी इतनी बढ़ गई थी कि वहां मंगल ग्रह से भी ज्यादा ठंड हो गई थी। 

पोलर वॉर्टेक्स (ध्रुवीय चक्रवात) कोई नई या रहस्यमयी घटना नहीं है। इस शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले 1853 में किया गया था। 1939 में रॉस्बी ने विज्ञान साहित्य में इसका प्रयोग किया था। पृथ्वी के भौगोलिक ध्रुवों के पास लगातार चलने वाले व्यापक चक्रवात को पोलर वॉर्टेक्स कहा जाता है। 

यह चक्रवाती तूफान की तरह नहीं होता, जो विकसित होने के कुछ देर बाद खत्म हो जाता है, बल्कि यह ध्रुवीय जलवायु की सामान्य विशेषता है। पृथ्वी पर पोलर वॉर्टेक्स क्षोभमंडल एवं समताप मंडल के मध्य एवं ऊपरी हिस्से में होता है। उत्तरी गोलार्ध में यह सामान्य तौर पर एक हजार किलोमीटर के दायरे में घड़ी की विपरीत दिशा में घूमता रहता है। 

सर्दियों में बेहद ठंडा एवं कम दबाव वाला यह क्षेत्र काफी मजबूत हो जाता है, जबकि गर्मियों में कमजोर पड़ जाता है। ऐसा भूमध्यरेखा एवं ध्रुव के बीच तापमान के अंतर के कारण होता है। भौगोलिक संरचना के कारण ध्रुवीय चक्रवात अमूमन उत्तरी गोलार्द्ध से बाहर नहीं आता है, पर कभी-कभी यह अमेरिका और आसपास के क्षेत्रों में बहने लगता है।

 इन दिनों अमेरिका में यही हो रहा है। उत्तरी गोलार्ध में आर्कटिक वॉर्टेक्स के दो केंद्र हैं-एक कनाडा में बैफिन द्वीप के पास, दूसरा साइबेरिया के उत्तर-पूर्वी इलाके के ऊपर। जब पोलर वॉर्टेक्स मजबूत होता है, तो पश्चिमी हवाएं तेज बहने लगती हैं। पोलर वॉर्टेक्स के दौरान ओजोन परत का ह्रास होता है।

Tuesday, 21 January 2014

प्रशांत महासागर के द्वीपीय देश पलाऊ

पलाऊ

प्रशांत महासागर के द्वीपीय देश पलाऊ की सरकार ने तिरुपति बालाजी की वैश्विक प्रसिद्धि को देखते हुए भगवान वेंकटेश्वर पर सिक्के जारी करने का फैसला लिया है। पलाऊ एक बहुदलीय लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसकी राजधानी गेरुल्मुड है। भौगोलिक दृष्टि से यह माइक्रोनेशिया द्वीप समूह का हिस्सा है, जहां की आबादी करीब 21,000 है। करीब तीन हजार वर्ष पूर्व फिलीपींस के प्रवासियों से यह देश आबाद हुआ था। पहली बार 18वीं शताब्दी में इस द्वीप पर यूरोपीय लोग पहुंचे थे। 

1947 में यह अमेरिका द्वारा प्रशासित ट्रस्ट टेरिटरी ऑफ पेसिफिक आइलैंड्स का हिस्सा बन गया, लेकिन माइक्रोनेशिया के साथ संघबद्ध होने से मना करने के बाद यह 1994 में अमेरिका से संबद्ध पूर्ण संप्रभुता वाला देश बन गया। इस कारण अमेरिका इसे रक्षा, वित्त एवं सामाजिक सेवाओं में सहयोग करता है। पलाऊ में राष्ट्रपति ही राष्ट्र एवं सरकार, दोनों का प्रमुख होता है।

 कार्यकारी शक्तियां सरकार के पास हैं, जबकि विधायी शक्तियां सरकार एवं संसद, दोनों के पास हैं। वहां न्यायपालिका कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका से स्वतंत्र है। पलाऊ की अर्थव्यवस्था मूलतः पर्यटन, कृषि एवं मछलियों के शिकार पर टिकी है, हालांकि सकल राष्ट्रीय उत्पाद का एक बड़ा हिस्सा विदेशी सहयता से आता है। यहां की संस्कृति पर जापान, माइक्रोनेशिया एवं मेलेनिशिया की छाप स्पष्ट देखी जा सकती है। 

पलाऊ की सामाजिक व्यवस्था मातृवंशीय है, जिसका प्रभाव उसके हरेक रस्म-रिवाजों पर दिखता है। वहां के लोग अपनी परंपराओं का बहुत सम्मान करते हैं। पलाऊ दुनिया का पहला देश है, जिसने 1981 में परमाणु मुक्त संविधान अपनाया था। वहां रासायनिक, जैविक एवं परमाणु हथियारों के प्रयोग, भंडारण एवं बिक्री पर प्रतिबंध है।

Monday, 20 January 2014

जोनबील मेला

जोनबील मेला

हर वर्ष सैकड़ों मेले देश भर में आयोजित होते हैं। लेकिन असम में गुवाहाटी से तकरीबन 70 किलोमीटर दूर जगीरोड के पास लगने वाला सदियों पुराना जोनबील मेला कुछ खास है। यह मेला हर वर्ष माघ बिहू त्योहार के अवसर पर आयोजित होता है। 

′जोन′ और ′बील′ असमिया शब्द हैं, जिनका क्रमशः अर्थ है, चंद्रमा और आर्द्र भूमि। ऐसी मान्यता है कि इस मेले की शुरुआत 15वीं शताब्दी में हुई। लेकिन इस मेले को व्यवस्थित रूप अहोम वंश के राजाओं ने दिया। अहोम राजाओं ने इस मेले का उपयोग तत्कालीन राजनीतिक हालात पर चर्चा करने के लिए किया। 

हर वर्ष मेला शुरू होते ही पूर्वोत्तर भारत के पर्वतीय इलाकों में रहने वाली करबी, खासी, तिवा, जयंतिया इत्यादि जनजातियां अपने मनमोहक हस्त निर्मित उत्पादों के साथ इस मेले में आती हैं। यह देश का एकमात्र मेला है, जहां कुछ खरीदने के लिए पैसे की जरूरत नहीं पड़ती। जिस तरह से मुद्रा के चलन से पहले प्राचीन काल में वस्तु विनिमय प्रचलित था, उसी तरह यहां आज भी अदला-बदली (बार्टर प्रणाली) मौजूद है। 

पहाड़ों पर रहने वाली जनजातियां वहां पैदा होने वाली सामग्री जैसे अदरक, आलू, हल्दी, मिर्च, आंवला इत्यादि लाकर यहां से तेल, मछली, चावल जैसी पहाड़ों पर न पैदा होने वाली वस्तुएं अपने साथ ले जाते हैं। इस मेले का प्रमुख उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत में फैली तमाम जनजातियों और समुदायों के बीच शांति और सौहार्द्र की भावना का प्रसार करना है।

 इस मेले में पहाड़ के ऊपर से आने वाले लोगों को मामा-मामी के नाम से संबोधित करने की अनोखी परंपरा है। यह मेला पहाड़ों और मैदानों में रहने वालों की पारस्परिक सद्भावना का अद्भुत उदाहरण है।

Sunday, 19 January 2014

paryog kisi or ke liye ...huva kuchh or


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एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग (रेगुलेशन) ऐक्ट (एपीएमसी ऐक्ट)

एपीएमसी

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों को फलों एवं सब्जियों को एपीएमसी ऐक्ट के दायरे से बाहर करने का निर्देश दिया है, ताकि किसानों को अपने उत्पाद कहीं भी बेचने की छूट मिल सके और उपभोक्ताओं को भी सस्ती कीमती पर फल एवं सब्जियां मिल सकें। 1970 के दशक में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग (रेगुलेशन) ऐक्ट (एपीएमसी ऐक्ट) के तहत किसानों को उनके उत्पादों का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए कृषि विपणन समितियां बनी थीं। 

इन समितियों का उद्देश्य बाजार की अनिश्चितताओं से किसानों को बचाना था। लेकिन राजनेताओं के संरक्षण में इन समितियों के जरिये मंडियों पर थोक व्यापारियों का एकाधिकार बना रहा और बिचौलियों की चांदी रही। न तो किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिला और न ही उपभोक्ताओं को कोई लाभ हुआ। इसकी मुख्य वजह यह थी कि किसानों को मंडियों में सीधे अपना उत्पाद बेचने की अनुमति नहीं थी। 

कृषि उत्पादों का मामला यों तो राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है, लेकिन कृषि विपणन के क्षेत्र में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2003 में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग (रेगुलेशन) ऐक्ट का एक आदर्श प्रारूप बनाकर राज्यों को उसे अपनाने के लिए भिजवाया था। एपीएमसी विधेयक के आदर्श प्रारूप में अन्य चीजों के अलावा किसानों से सीधे कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री, ठेकेदारी खेती एवं निजी तथा सहकारी क्षेत्रों में मंडिया बनाने के बारे में प्रावधान हैं। 

अब तक सोलह राज्यों ने अपने एपीएमसी ऐक्ट में संशोधन किया है, लेकिन मंडियों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव एवं प्रतिस्पर्धी माहौल नहीं होने के कारण इसका लाभ नहीं मिल पाया है।

martun luther


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garden puzzle and....



Wednesday, 15 January 2014

जब यह साफ हो

जब यह साफ हो कि लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता है, तो लक्ष्यों में फेरबदल न करें, बल्कि अपने प्रयासों में बदलाव करें।

- कंफ्यूशियस