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Wednesday 22 January 2014

पोलर वॉर्टेक्स (ध्रुवीय चक्रवात)

पोलर वॉर्टेक्स

अमेरिका के मध्य और पूर्वी इलाके आर्कटिक से आने वाली सर्द हवाओं की चपेट में है, जिसे पोलर वॉर्टेक्स की वापसी बताया जा रहा है। इससे पहले इसी महीने के शुरू में अमेरिका और कनाडा में सर्दी इतनी बढ़ गई थी कि वहां मंगल ग्रह से भी ज्यादा ठंड हो गई थी। 

पोलर वॉर्टेक्स (ध्रुवीय चक्रवात) कोई नई या रहस्यमयी घटना नहीं है। इस शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले 1853 में किया गया था। 1939 में रॉस्बी ने विज्ञान साहित्य में इसका प्रयोग किया था। पृथ्वी के भौगोलिक ध्रुवों के पास लगातार चलने वाले व्यापक चक्रवात को पोलर वॉर्टेक्स कहा जाता है। 

यह चक्रवाती तूफान की तरह नहीं होता, जो विकसित होने के कुछ देर बाद खत्म हो जाता है, बल्कि यह ध्रुवीय जलवायु की सामान्य विशेषता है। पृथ्वी पर पोलर वॉर्टेक्स क्षोभमंडल एवं समताप मंडल के मध्य एवं ऊपरी हिस्से में होता है। उत्तरी गोलार्ध में यह सामान्य तौर पर एक हजार किलोमीटर के दायरे में घड़ी की विपरीत दिशा में घूमता रहता है। 

सर्दियों में बेहद ठंडा एवं कम दबाव वाला यह क्षेत्र काफी मजबूत हो जाता है, जबकि गर्मियों में कमजोर पड़ जाता है। ऐसा भूमध्यरेखा एवं ध्रुव के बीच तापमान के अंतर के कारण होता है। भौगोलिक संरचना के कारण ध्रुवीय चक्रवात अमूमन उत्तरी गोलार्द्ध से बाहर नहीं आता है, पर कभी-कभी यह अमेरिका और आसपास के क्षेत्रों में बहने लगता है।

 इन दिनों अमेरिका में यही हो रहा है। उत्तरी गोलार्ध में आर्कटिक वॉर्टेक्स के दो केंद्र हैं-एक कनाडा में बैफिन द्वीप के पास, दूसरा साइबेरिया के उत्तर-पूर्वी इलाके के ऊपर। जब पोलर वॉर्टेक्स मजबूत होता है, तो पश्चिमी हवाएं तेज बहने लगती हैं। पोलर वॉर्टेक्स के दौरान ओजोन परत का ह्रास होता है।

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