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Sunday, 19 January 2014

एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग (रेगुलेशन) ऐक्ट (एपीएमसी ऐक्ट)

एपीएमसी

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों को फलों एवं सब्जियों को एपीएमसी ऐक्ट के दायरे से बाहर करने का निर्देश दिया है, ताकि किसानों को अपने उत्पाद कहीं भी बेचने की छूट मिल सके और उपभोक्ताओं को भी सस्ती कीमती पर फल एवं सब्जियां मिल सकें। 1970 के दशक में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग (रेगुलेशन) ऐक्ट (एपीएमसी ऐक्ट) के तहत किसानों को उनके उत्पादों का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए कृषि विपणन समितियां बनी थीं। 

इन समितियों का उद्देश्य बाजार की अनिश्चितताओं से किसानों को बचाना था। लेकिन राजनेताओं के संरक्षण में इन समितियों के जरिये मंडियों पर थोक व्यापारियों का एकाधिकार बना रहा और बिचौलियों की चांदी रही। न तो किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिला और न ही उपभोक्ताओं को कोई लाभ हुआ। इसकी मुख्य वजह यह थी कि किसानों को मंडियों में सीधे अपना उत्पाद बेचने की अनुमति नहीं थी। 

कृषि उत्पादों का मामला यों तो राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है, लेकिन कृषि विपणन के क्षेत्र में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2003 में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग (रेगुलेशन) ऐक्ट का एक आदर्श प्रारूप बनाकर राज्यों को उसे अपनाने के लिए भिजवाया था। एपीएमसी विधेयक के आदर्श प्रारूप में अन्य चीजों के अलावा किसानों से सीधे कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री, ठेकेदारी खेती एवं निजी तथा सहकारी क्षेत्रों में मंडिया बनाने के बारे में प्रावधान हैं। 

अब तक सोलह राज्यों ने अपने एपीएमसी ऐक्ट में संशोधन किया है, लेकिन मंडियों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव एवं प्रतिस्पर्धी माहौल नहीं होने के कारण इसका लाभ नहीं मिल पाया है।

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