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Saturday 30 November 2013

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AIDS


उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण या उ.प्र.अ.स. (अंग्रेज़ी:एड्स) 

मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु [मा.प्र.अ.स.] (एच.आई.वी) संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। एड्स स्वयं कोई बीमारी नही है पर एड्स से पीड़ित मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योंकि एच.आई.वी (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है ) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है। एड्स पीड़ित के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं। एच.आई.वी. संक्रमण को एड्स की स्थिति तक पहुंचने में ८ से १० वर्ष या इससे भी अधिक समय लग सकता है। एच.आई.वी से ग्रस्त व्यक्ति अनेक वर्षों तक बिना किसी विशेष लक्षणों के बिना रह सकते हैं।
एड्स वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है यानी कि यह एक महामारी है। एड्स के संक्रमण के तीन मुख्य कारण हैं - असुरक्षित यौन संबंधो, रक्त के आदान-प्रदान तथा माँ से शिशु में संक्रमण द्वारा। राष्ट्रीय उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण नियंत्रण कार्यक्रम और [1] संयुक्त राष्ट्रसंघ उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण] दोनों ही यह मानते हैं कि भारत में ८० से ८५ प्रतिशत संक्रमण असुरक्षित विषमलिंगी/विषमलैंगिक यौन संबंधों से फैल रहा है[1]। माना जाता है कि सबसे पहले इस रोग का विषाणु: एच.आई.वी, अफ्रीका के खास प्राजाति की बंदर में पाया गया और वहीं से ये पूरी दुनिया में फैला। अभी तक इसे लाइलाज माना जाता है लेकिन दुनिया भर में इसका इलाज पर शोधकार्य चल रहे हैं। १९८१ में एड्स की खोज से अब तक इससे लगभग ३० करोड़ लोग जान गंवा बैठे हैं।

Friday 29 November 2013

क्या आप जानते हैं



गर्म पानी ठंडे पानी के मुकाबले जल्दी बर्फ में बदल जाता है

टाइटैनिक जहाज के बनाने को लिए उस समय 35 करोड़ 70 लाख रुपये लगे थे, जबकि फिल्म पर 1000 हजार करोड़ की लागत आई।

संसार में सबसे पहले पुस्तक छापने वाले व्यक्ति का नाम कोस्टर था।

ऑक्टोपस के तीन दिल होते हैं।

सिर्फ मादा मच्छर ही आपका ख़ून चूसती हैं, नर मच्छर सिर्फ आवाज करते हैं।

ब्लू व्हेल एक सांस में 2000 गुब्बारों जितनी हवा खींचती है और बाहर निकालती है।

शरीर की लगभग 25 फीसदी हड्डियां आप के पैरों में होती हैं।

1894 में जो सबसे पहला कैमरा बना था,उससे फोटो खींचने के लिए उसके सामने करीब आठ घंटे तक बैठना पड़ता था।

लोग सबसे ज्यादा तेज फैसले तब लेते हंै,जब वह वीडियो गेम खेल रहे होते हैं।

पैराशूट की खोज हवाई जहाज से 1 सदी पहले हुई थी।

गौरैया एक ऐसा पक्षी है जो पालतू न होने पर भी मनुष्य के आसपास ही रहना पसंद करता है।

विश्व की
सबसे बड़ी नमक की झील केस्पो यनसी, रूस में है।

इनकी प्रतिभा की दुनिया कायल

इनकी प्रतिभा की दुनिया कायल

जस्टिन बीबर

संगीत की दुनिया में जस्टिन बीबर कम उम्र में अधिक ख्याति प्राप्त करने वाले पॉप स्टार हैं। उन्होंने 19 साल की उम्र में 58 मिलियन डॉलर की संपत्ति अर्जित की है। पहला गाना 15 साल की उम्र-में रिलीज किया। जस्टिन बीबर के गीत संगीत के दुनिया भर में दीवाने हैं। टाइम मैगजीन ने उन्‍हें वर्ष 2013 में सर्वाधिक प्रभावी टीन्स की श्रेणी में शुमार किया है।

मलाला यूसुफजई

2012 में लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाने वाली मलाला यूसुफजई की तालिबान ने हत्या की कोशिश की। 16 साल की इस साहसी लड़की ने घटना के बाद भी लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कही। वर्ष 2013 में विचारों की स्‍वतंत्रता के लिए उन्हें सखारोव पुरस्‍कार और क्लिंटन ग्लोबल नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

बेथ रीकेल्स

वह खुद कहानियां पढ़ती थी और एक दिन उसने खुद का नॉवेल लिखने का सोचा। नॉवेल लिखा और उसने पूरी दुनिया में धूम मचा दी। बेथ रीकेल्स ने अपने पहले नॉवेल `किसिंग बूथ′ को स्टोरी शेयरिंग की साइट `वाटपैड′ पर डाला था। इसे 19 लाख से ज्यादा लोगों ने सराहा। उनके पहले उपन्यास ने उन्हें विश्व में प्रसिद्व कर दिया। यूके के एक प्रकाशक ने उन्हें तीन किताबों के लिए अनुबंधित किया है। टाइम मैगजीन के वर्ष 2013 के प्रभावी किशोरों की सूची में बेक रीकेल्स भी शामिल हैं।

प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती। टाइम मैग्जीन की 2013 के प्रतिभाशाली किशोरों की सूची देखकर तो इस पर पूणर्तः विश्वास हो जाता है। इन किशोरों की उपलब्धियां बड़े-बड़ों के लिए चुनौती हैं। आइए जानें दुनिया के इन टीनएज हीरोज में से कुछेक के बारे में...

मिसी फ्रेंकलिन

18 साल की मिसी फ्रेंकलिन ने 2012 में लंदन ओलंपिक में तैराकी में छह ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। 200 मीटर बैकस्ट्रोक का मौजूदा विश्व रिकॉर्ड उनके नाम है। वर्ष 2013 में उन्हें महिला खेल फाउंडेशन के खिताब से नवाजा गया। उन्होंने अपनी काॅलेज की पढ़ाई के लिए करोड़ों डॉलर के विज्ञापन के अनुबंध को ठुकरा दिया।

आज पृथ्वी की कक्षा से अलग होगा यान

आज पृथ्वी की कक्षा से अलग होगा यान
अब लंबे सफर पर निकलेगा मंगलयान

बंगलूरू। लाल ग्रह की गुत्थियों को सुलझाने के लिए एक बेहद लंबे सफर पर निकले मंगलयान की परीक्षा की घड़ी नजदीक आ गई है। शनिवार आधी रात के बाद इसको पृथ्वी की कक्षा से निकलकर मंगल के लिए अंतर्ग्रहीय सफर पर निकलना है। इसरो ने मंगलयान के इस 300 दिनों की यात्रा की पूरी तैयारी कर ली है।
मंगलयान को मंगल के सफर पर भेजने के लिए 648 मीटर प्रति सेकेंड के अतिरिक्त वेग की जरूर होगी। इसके लिए यान में लगे 440 न्यूटन के लिक्विड अपोजी मोटर (एलएएम) में रात 12.49 बजे 23 मिनट तक फायर किया जाएगा। इससे धरती की कक्षा में घूमने वाला यह यान इसके प्रभाव वाले घेरे से दूर हो जाएगा। इस तरह लंबी यात्रा पूरी करने के बाद सितंबर 2014 में मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा। मंगल की कक्षा में पहुंचने के बाद लाल ग्रह के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार यान की गति को कम करने के लिए इसमें लगे इंजन में एक बार फिर फायर किया जाएगा। मंगलयान परियोजना के निदेशक एम अन्नादुरई ने कहा कि सब कुछ सामान्य है और ठीक चल रहा है। उन्होंने कहा कि मंगलयान को धरती की कक्षा से निकालकर अंतर्ग्रहीय सफर पर भेजना बेहद अहम प्रक्रिया है। पांच नवंबर को पीएसएलवी-सी25 राकेट के जरिए छोड़ा गया मंगलयान अब तक पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर काटता रहा है। 


इसरो के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सटीकता का काफी ख्याल रखना पड़ता है ताकि यान सही प्रक्षेप पथ पर पहुंच सके।


10 माह के सफर के बाद सितंबर 2014 में मंगल की कक्षा में पहुंचेगा मंगलयान

Thursday 28 November 2013

विशाखा दिशा-निर्देश


तहलका प्रमुख तरुण तेजपाल पर लगे यौन शोषण के आरोपों की जांच चूंकि अब पुलिस खुद कर रही है, 

इसलिए कहा जा रहा है कि विशाखा दिशा-निर्देश के तहत इस मामले की जांच का अब कोई औचित्य नहीं है। विशाखा दिशा-निर्देश मूलतः सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं के खिलाफ होने वाले यौन शोषण को रोकने संबंधी प्रावधान हैं।

 विशाखा महिलाओं का एक अधिकार समूह है, जिसने सर्वोच्च न्यायालय में लोकहित याचिका दायर कर यह गुजारिश की थी कि कार्यस्थल पर महिलाओं के खिलाफ होने वाले यौन शोषण को रोकने के लिए वह कुछ प्रावधान बनाए। उसकी यह मांग राजस्थान की सामाजिक कार्यकर्ता भंवरी देवी बलात्कार कांड के संदर्भ में थी।

विशाखा दिशा-निर्देश 1997 में अस्तित्व में आया। जिया मोदी ने अपनी किताब टेन जजमेंट दैट चेंज्ड इंडिया में लिखा है कि विशाखा बनाम राजस्थान राज्य के संदर्भ में आया यह दिशा-निर्देश न्यायिक सक्रियता का चरमोत्कर्ष है। इस दिशा-निर्देश के तहत कंपनी की यह जिम्मेदारी है कि वह गुनाहगार के खिलाफ कार्रवाई करे।
 सुरक्षा को कामकाजी महिलाओं का मौलिक अधिकार मानते हुए इस निर्देश में यह कहा गया है कि शिकायत के संदर्भ में हर कंपनी में महिला-कमेटी बनाना अनिवार्य है, जिसकी अध्यक्षता न सिर्फ कोई महिलाकर्मी करेगी, बल्कि इसकी आधी सदस्य महिलाएं होंगी। सर्वोच्च न्यायालय ने दस से ज्यादा निर्देश दिए हैं, जिनके तहत अनुशासनात्मक से लेकर आपाराधिक कार्रवाई किए जाने की बात कही गई है। यौन शोषण के तहत शारीरिक छेड़छाड़, छूना, यौन आग्रह करना, अश्लील वीडियो या तस्वीर दिखाना, आपत्तिजनक व्यवहार या इशारा करना आता है।

Wednesday 27 November 2013

अपने अतीत को

अपने अतीत को याद कर दुखी होने से बेहतर है, उससे सबक लेकर भविष्य के सपने बुनना।

- टॉमस जैफरसन

बढ़ते ई-कचरे से निपटने की चुनौती


सूचना क्रांति के इस युग में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बिना जीवन की कल्पना मुश्किल है। मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट आदि अब मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं। पर इन आधुनिक उपकरणों के साथ ई-कचरे के रूप में एक बड़ी समस्या भी हमारे सामने आ खड़ी हुई है। ई-कचरे के अंतर्गत वे सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आते हैं, जिनकी उपयोगिता समाप्त हो चुकी है। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अनुसार, ई-कचरे से तात्पर्य पूर्ण तथा टुकड़ों में उन सभी इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तथा उनके उत्पादन और मरम्मत के दौरान निकले उन पदार्थों से है, जो अनुपयोगी हैं। प्रति वर्ष लगभग 20 से 50 टन ई-कचरा विश्व भर में फेंका जा रहा है।
ग्रीनपीस संस्था के अनुसार, ई-कचरा दुनिया भर में उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे का लगभग पांच प्रतिशत है। साथ ही विभिन्न प्रकार के ठोस कचरे में सबसे तेज वृद्धि दर ई-कचरे में ही देखी जा रही है, क्योंकि लोग अब अपने टेलीविजन, कंप्यूटर, मोबाइल, प्रिंटर आदि को पहले से अधिक जल्दी बदलने लगे हैं। इनमें सबसे ज्यादा दिक्कत पैदा हो रही है कंप्यूटर और मोबाइल से, क्योंकि इनका तकनीकी विकास इतनी तीव्र गति से हो रहा है कि ये बहुत ही कम समय में पुराने हो जाते हैं और इन्हें बदलना पड़ता है।
भविष्य में ई-कचरे की समस्या कितनी विकराल हो सकती है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले कुछ वर्षों में विकसित देशों में कंप्यूटर और मोबाइल उपकरणों की औसत आयु घटकर मात्र दो साल रह गई है। ट्राई की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में लगभग 90 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता हैं। यदि इसमें कंप्यूटर उपभोक्ताओं की संख्या भी जोड़ दें, तो अंदाजा लगाइए है कि भविष्य में ई-कचरे की समस्या कितनी भयावह होने वाली है। एसोचैम के मानें, भारत में प्रतिवर्ष लगभग 30,000 टन ई-कचरा पैदा होता है, जिसमें लगभग 25 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है। 2015 तक यह तकरीबन 50,000 टन सालाना हो जाएगी। घटते दामों और बढ़ती क्रयशक्ति के कारण मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर आदि की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। भारत जैसे देश में जहां शिक्षा और जागरूकता का अभाव है, वहां सस्ती तकनीक ई-कचरे जैसी समस्याएं ला रही है।
घरेलू ई-कचरे जैसे अनुपयोगी टीवी और रेफ्रिजरेटर में लगभग 1,000 विषैले पदार्थ होते हैं, जो मिट्टी एवं भू-जल को प्रदूषित करते हैं। इन पदार्थों के संपर्क में आने पर सिरदर्द, मतली, आंखों में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ई-कचरा हमारे स्वास्थ्य एवं वातावरण के लिए अत्यंत हानिकारक हैं। इसका पुनर्चक्रण एवं निस्तारण अत्यंत ही महत्वपूर्ण विषय है, जिसके बारे में गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार ने ई-कचरे के प्रबंधन के लिए विस्तृत नियम बनाए हैं, जो एक मई, 2012 से प्रभाव में आ गए हैं। ई-कचरा (प्रबंधन एवं संचालन नियम) 2011 के अंतर्गत इसके पुनर्चक्रण एवं निस्तारण के लिए विस्तृत निर्देश दिए गए हैं। हालांकि इन दिशानिर्देशों का पालन किस सीमा तक किया जा रहा है, यह कह पाना कठिन है। जानकारी के अभाव में ई-कचरे के शमन में लगे लोग कई प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। अकेले दिल्ली में एशिया का लगभग 85 प्रतिशत ई-कचरा शमन के लिए आता है, परंतु इसके निस्तारण के लिए जरूरी सुविधाओं का अभाव है। ई-कचरे में कई जहरीले और खतरनाक रसायन तथा अन्य पदार्थ जैसे सीसा, कांसा, पारा, कैडमियम आदि शामिल होते हैं, जो उचित शमन प्रणाली के अभाव में पर्यावरण के लिए काफी खतरा पैदा करते हैं। एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपने ई-कचरे के केवल पांच प्रतिशत का ही पुनर्चक्रण कर पाता है।
ई-कचरे के प्रबंधन में उत्पादक, उपभोक्ता एवं सरकार की संयुक्त हिस्सेदारी होनी चाहिए। हानिकारक पदार्थों का कम से कम प्रयोग करते हुए ई-कचरे के प्रशमन का उचित प्रबंधन करना उत्पादक की जिम्मेदारी है, तो उपभोक्ता की जिम्मेदारी है कि वह ई-कचरे को इधर-उधर न फेंक कर उसे पुनर्चक्रण के लिए उचित संस्था को दें। इसी तरह ई-कचरे के प्रबंधन के ठोस और व्यावहारिक नियम बनाना और उनका पालन सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।
देश में ई-कचरा सालाना 25 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, पर पांच प्रतिशत का ही हम पुनर्चक्रण कर पाते हैं।
विज्ञान

Tuesday 26 November 2013

अगर अदालत से

अगर अदालत से हल्की-सी भी चूक हो, तो उस अन्याय को न्याय के लिए खतरा माना जाना चाहिए।

- मार्टिन लूथर किंग जूनियर

अंतर-संसदीय संघ

अंतर-संसदीय संघ

संसदों के अंतरराष्ट्रीय संगठन अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया है कि संसद में महिला प्रतिनिधियों के लिहाज से हमारा देश 188 देशों की सूची में 108वें स्थान पर है। यहां लोकसभा में महज 11 प्रतिशत, तो राज्यसभा में 10.6 प्रतिशत महिलाएं हैं। आईपीयू का उद्देश्य, असल में, विश्वव्यापी संसदीय संवाद कायम करना और शांति एवं सहयोग बनाए रखते हुए लोकतंत्र को मजबूत बनाना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह सभी देशों की संसद तथा सांसदों के बीच समन्वय और अनुभवों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करता है और अंतरराष्ट्रीय हितों तथा सरोकारों के प्रश्नों पर विचार-विमर्श करता है। मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन में योगदान देने के साथ ही प्रतिनिधि संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण तथा विकास में भी यह अपना योगदान देता है।
सभी देशों के सांसदों को एक छत के नीचे लाने की पहल 1870-80 के दशक में शुरू हुई। जून, 1888 में जब अमेरिकी सीनेट ने अन्य देशों के साथ संबंधों को परिभाषित करने वाली कमेटी के प्रस्तावों को स्वीकार करने का फैसला लिया और इसकी प्रतिक्रिया में फ्रांस के चैंबर ने फ्रेडरिक पेसी के प्रस्तावों पर बहस करने को स्वीकृति दी, तो शांति बहाली के लिए ब्रिटिश सांसद विलियम रैंडल क्रेमर ने पेसी को पत्र लिखकर एक संयुक्त बैठक रखने का प्रस्ताव दिया। 31 अक्तूबर, 1888 को यह बैठक हुई, जिसके सकारात्मक परिणाम आए। इस उपलब्धि के संदर्भ में ही आईपीयू की स्थापना 1889 में हुई। विलियम क्रेमर और पेसी इसके सूत्रधार बने। आईपीयू का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है, और यह मुख्य रूप से अपने सदस्यों द्वारा वित्त पोषित है।

Top 10 Largest Countries

GK 
Top 10 Largest Countries by Area
1 Russia — 17,098,242 square Km
2 Canada — 9,984,670 square Km
3 United States of America—
9,826,675 square Km
4 China— 9,596,961 square Km
5 Brazil— 8,514,877 square
6 Australia— 7,617,930 square
7 India— 3,287,263 square Km
8 Argentina— 2,766,890 square Km
9 Kazakhstan— 2,724,900 square Km
10 Algeria— 2,381,741 square Km

Monday 25 November 2013

अब मधुमक्खियां लगाएंगी कैंसर और टीबी का पता

अब मधुमक्खियां लगाएंगी कैंसर और टीबी का पता

लंदन। मधुमक्खियों में सूंघने की क्षमता बहुत ज्यादा होती है। उनमें एक साथ कई खुशबुओं को सूंघने की 

खूबी होती है। इसी संवेदनशीलता का इस्तेमाल कर वैज्ञानिकों ने मनुष्य में होने वाले कैंसर, टीबी और डायबिटीज का पता लगाने में किया है।
पुर्तगाली डिजाइनर सुसैन सोरेस ने एक ऐसे उपकरण का ईजाद किया है जोकि प्रशिक्षित मधुमक्खियों के इस्तेमाल से इन बीमारियों का पता लगा सकती है। मधुमक्खियां वायुवाहित अणुकणिकाओं का पता लगा सकती हैं और प्रशिक्षण के जरिए ये फेफड़ों, त्वचा और अग्नाशय कैंसर के साथ ही टीबी जैसी बीमारियों के लक्षणों के बारे में बता सकती हैं।
एक खास प्रक्रिया द्वारा मधुमक्खियों को प्रशिक्षित किया जाता है। उन्होंने कहा कि मधुमक्खियों को जिस गंध पर लक्षित करना चाहते हैं, पहले उसकी ओर आकर्षित होने से रोकें। फिर दो-चार बार पानी और शक्कर दें। इस प्रक्रिया को दोहराते रहें, मधुमक्खियां खाने के साथ गंध से जुड़ जाएंगी। एजेंसी

जीरो एफआईआर

जीरो एफआईआर
सचिवालय में तैनात उत्तराखंड से संबंधित एक अपर सचिव पर एक युवती द्वारा दिल्ली में दर्ज कराए गए दुष्कर्म के मामले में दिल्ली पुलिस जीरो एफआईआर (जीरो प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज कर मामले की जांच कर रही है। जीरो एफआईआर उसे कहते हैं, जब कोई महिला उसके विरुद्ध हुए संज्ञेय अपराध के बारे में घटनास्थल से बाहर के पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाए। इसमें घटना की अपराध संख्या दर्ज नहीं की जाती। हमारे देश की न्याय व्यवस्था के अनुसार, संज्ञेय अपराध होने की दशा में घटना की एफआईआर किसी भी जिले में दर्ज कराई जा सकती है। चूंकि यह मुकदमा घटना वाले स्थान पर दर्ज नहीं होता, इसलिए तत्काल इसका नंबर नहीं दिया जाता, लेकिन जब उसे घटना वाले स्थान पर स्थानांतरित किया जाता है, तब अपराध संख्या दर्ज कर ली जाती है। असल में, अपराध दो तरह के होते हैं, पहला संज्ञेय (गोली चलाना, हत्या, बलात्कार जैसे गंभीर अपराध) और दूसरा असंज्ञेय (मामूली मारपीट आदि)। असंज्ञेय में सीधे तौर पर एफआईआर दर्ज नहीं करके शिकायत को मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया जाता है, और फिर मजिस्ट्रेट आरोपी को समन जारी करता है, जबकि संज्ञेय अपराध में एफआईआर दर्ज करना जरूरी है; यह व्यवस्था सीआरपीसी की धारा,154 के तहत की गई है। जीरो एफआईआर के पीछे सोच यह थी कि किसी भी थाने में शिकायत दर्ज कर मामले की जांच शुरू की जाए और सबूत एकत्र किए जाएं। शिकायत दर्ज नहीं होने की स्थिति में सबूत नष्ट होने का खतरा होता है। जीरो एफआईआर हो या सामान्य एफआईआर, दर्ज की गई शिकायत को सुनकर/ पढ़कर उस पर शिकायती का हस्ताक्षर करना अनिवार्य कानूनी प्रावधान है।

amway ad in news 25/11/2013


typographical carcture


Sunday 24 November 2013

लोक अदालत

लोक अदालत
न्यायिक व्यवस्था पर बढ़ते मुकदमों के बोझ को कम करने की पहल के तहत शनिवार को पूरे देश में एक साथ लोक अदालतें लगीं और एक दिन में 28.26 लाख मुकदमों का निपटारा कर विश्व रिकॉर्ड बनाया गया। लोक अदालत, असल में, हमारे देश में विवादों के निपटारे का वैकल्पिक माध्यम है। इसे बोलचाल की भाषा में ′लोगों की अदालत′ भी कहते हैं। इसके गठन का आधार 1976 का 42वां संविधान संशोधन है, जिसके तहत अनुच्‍छेद 39 में आर्थिक न्याय की अवधारणा जोड़ी गई और शासन से अपेक्षा की गई कि वह यह सुनिश्चित करेगा कि देश का कोई भी नागरिक आर्थिक या किसी अन्‍य अक्षमताओं के कारण न्‍याय पाने से वंचित न रह जाए। इस उद्देश्‍य की प्राप्ति के लिए सबसे पहले 1980 में केंद्र सरकार के निर्देश पर सारे देश में कानूनी सहायता बोर्ड की स्‍थापना की गई, और फिर बाद में इसे कानूनी जामा पहनाने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 पारित किया गया। यह अधिनियम नौ नवंबर, 1995 को लागू हुआ और विधिक सहायता एवं स्थायी लोक अदालतें अस्तित्व में आईं।
लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य है, विवादों का आपसी सहमति से समझौता कराना। इसकी सभी कार्यवाही सिविल कोर्ट की कार्यवाही समझी जाती है और इसके फैसले न्यायिक समझे जाते हैं। इस अदालत की खासियत यह है कि अगर सभी पक्षों में आम राय बन जाती है, तो फिर यहां के फैसले को किसी और अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती; यहां तक कि धारा 226 के तहत भी नहीं। लोक अदालत सभी दीवानी मामलों, वैवाहिक विवाद, भूमि विवाद, बंटवारे या संपत्ति विवाद, श्रम विवाद आदि गैर-आपराधिक मामलों का निपटारा करती है।

नियुक्त अध्यापक की असामयिक मृत्यु होने पर

प्रश्न :- मुख्यमंत्री महोदय, मैं आपसे जानना चाहता हूं कि वर्ष 2006 के बाद शिक्षा विभाग में नियुक्त अध्यापक की असामयिक मृत्यु होने पर उसके परिजनों को कौन से लाभ दिए जाते हैं। इसके अलावा उसके परिजनों को कौन सी पेंशन व्यवस्था के तहत पेंशन दिए जाने का प्रावधान है।
-रामनाथ, गांव और डाकखाना मुसिबल, तहसील जगाधरी, जिला यमुनानगर।
उत्तर- वर्ष 2006 के बाद शिक्षा विभाग में नियुक्त अध्यापक की असामयिक मृत्यु होने पर उसके परिजनों को एक अगस्त 2006 की अनुग्रह अनुदान नीति की हिदायतों अनुसार मासिक वित्तीय सहायता 25,000 रुपये की अनुदान राशि तथा जीआईएस, लीव इन्कैशमेंट और ग्रेच्युटी की राशि दिए जानेे का प्रावधान है। जहां तक पेंशन का संबंध है, नियमानुसार इसका कोई प्रावधान नहीं है।

Friday 22 November 2013

Benefits Of Almonds

बादाम के फायदे (Benefits Of Almonds):- 1. बादाम की गिरी को रात में पानी भिगोकर सुबह 

छिलका उतार कर खाना चाहिए। यह पढ़ने वाले बच्चों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता हैं। 2. मधुमेह के 

रोगी भी बादाम का सेवन कर सकते हैं, यह शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सहायता करता है पर इस बात 

का ख़ास ध्यान रहे कि मधुमेह रोगी को रोजाना सिर्फ 3-4 बादाम ही खाने चाहिए। 3. बादाम मे कॉपर 

पाया जाता है इसलिए ये छिलका सहित खाने पर खून मे लाल कणों की कमी को दूर करता है। 4. बादाम

 में मैग्निशियम,कॉपरऔर रिबोफ्लेविन जैसे पोषक तत्व पाये जाते हैं, जो शरीर को अधिक मात्रा में ऊर्जा 

को प्रदान करते हैं। बादाम दिमाग के साथ-साथ शरीर को भी फिट रखता है। 5. बादाम चेहरे की रंगत को 

निखारता है और ये त्वचा में कोमलता लाने का काम करता है। 6. रोजाना बादाम की 5-8 गिरी खाने से 

बालों को गिरने की समस्या भी कम होती है। 7. बादामों को रात को 5-6 घंटे के लिए पानी मे भिगो दें 

और फिर सुबह इन्हे छील कर सफ़ेद गिरी को घिस कर दूध में घोल कर पीने से दिमाग तेज होता है , नर्व्स

 मजबूत होती है। और बादाम खाने का सबसे सही तरीका यही है। 8. बादाम में मौजूद कैल्शियम और 

विटामिन D हडि्डयों को मजबूत बनाते हैं। बादाम बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सबके लिए बहुत ही 

फायदेमंद होता है। 9. अक्सर लगातार काम करने या शरीर में पोषण की कमी से आंखें कमजोर हो जाती 

हैं। बादाम का सेवन आंखों के लिए भी काफी अच्छा होता है। 10. बादाम गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत

फायदेमंद होता है क्योकि बादाम में फोलिक एसिड होता है जिसके कारण माँ – बच्चे में रक्त की कमी नहीं

 होती है। 

Thursday 21 November 2013

'सेल्फाय' को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी की ओर से वर्ड ऑफ द ईयर चुना गया है।

स्मार्टफोन या वेबकेम से खुद का फोटो क्लिक करने के लिए उपयोग होने वाले श?द 'सेल्फाय' को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी की ओर से वर्ड ऑफ द ईयर चुना गया है। वजह है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल यह श?द 17 हजार प्रतिशत ज्यादा उपयोग किया गया। इसका प्रयोग उन्होंने ज्यादा किया जो सोशल मीडिया से जुड़े हैं और सेल्फ शॉट लेकर (सेल्फाय) प्रोफाइल फोटो बना चुके हैं। इस वर्ष 150 करोड़ श?द हर माह एकत्र किए गए थे। उनमें जो ट्रेंड दिखा, उसके अनुसार सेल्फाय को वर्ड ऑफ द ईयर चुना गया। सेल्फाय ने 'ट्वेर्क' और बिटकॉइन जैसे कई श?दों को पीछे छोड़ा। सोशल वेबसाइटों पर हैशटेग के रूप में सेल्फाय श?द का उपयोग 2004 की शुरुआत में फोटो शेयरिंग वेबसाइट ?िलकर में सामने आया था। लेकिन, 2012 तक यह ज्यादा चलन में नहीं था। क्चह्लद्धद्ग1द्गह्म्द्दद्ग.ष्शद्व 

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने 'सेल्फाय' को चुना वर्ड ऑफ द ईयर 

बच्चों का साहित्य उत्सव बुकरू

बुकरू
बच्चों का साहित्य उत्सव बुकरू इस साल छठे वर्ष में प्रवेश कर रहा है। 23-24 नवंबर को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स में होने वाले इस उत्सव में देश-विदेश के बाल साहित्य के लेखक, चित्रकार, कवि, किस्सागो एवं प्रकाशक शिरकत करते हैं। इस बार इसमें दुनिया भर के करीब सौ से ज्यादा वक्ताओं को आमंत्रित किया गया है। वर्ष 2008 में जब मात्र तीन महीनों की तैयारी में बुकरू ट्रस्ट द्वारा इस बाल साहित्य उत्सव की शुरुआत की गई थी, तो किसी को अंदाजा नहीं था कि यह इतना लोकप्रिय उत्सव बन जाएगा। पिछले वर्ष इसमें भागीदारी करने वाले बच्चों की संख्या दस हजार से ज्यादा थी, जबकि इस वर्ष उससे ज्यादा बच्चों के इसमें हिस्सा लेने की संभावना है। यह देश का संभवतः सबसे बड़ा बाल साहित्य उत्सव है, जिसका मुख्य मकसद बच्चों की कल्पनाशीलता एवं रचनात्मक उड़ान को पंख देना एवं उन्हें पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित करना है। इस उत्सव में बच्चे अपने अभिभावकों के साथ आते हैं, दुनिया भर से आए विशिष्ट अतिथियों से मिलते, बात करते, कार्यशाला में हिस्सा लेते, किस्से-कहानियां सुनते एवं मजा करते हैं। नई दिल्ली स्थित बुकरू ट्रस्ट बच्चों के लिए अच्छा साहित्य सामने लाने को प्रतिबद्ध है। इस ट्रस्ट के साथ कई जाने-माने लेखक, चित्रकार, किस्सागो, रंगमंच के कलाकार, प्रकाशक एवं स्कूल जुड़े हुए हैं। इस वर्ष विदेशों से जो मेहमान इस उत्सव में शिरकत करने वाले हैं, उनमें ब्रिटेन से सैली गार्डनर, जर्मनी से कोर्नेलिया फंक, पाकिस्तानी-कनाडाई लेखक मुशर्रफ अली फारूकी और रुख्साना खान आदि प्रमुख हैं। यह उत्सव दिल्ली के अलावा श्रीनगर एवं पुणे में भी आयोजित किया जाता है।

हल्दी के एक और गुण पर मेडिकल साइंस की मुहर

हल्दी के एक और गुण पर मेडिकल साइंस की मुहर
खूनी दस्त से छुटकारा दिलाने में हल्दी कारगर
 आशीष वर्मा
चंडीगढ़। हल्दी के एक और गुण पर मेडिकल साइंस ने मुहर लगा दी है। पीजीआई के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डिपार्टमेंट की रिसर्च के मुताबिक खूनी दस्त (अल्सररेटिव कोलाइटिस) में हल्दी का इस्तेमाल एक अचूक इलाज है। सुबह-शाम लगातार आठ हफ्ते तक हल्दी लेने से रोगी को खूनी दस्त से छुटकारा मिल जाएगा। इसके इस्तेमाल से आंत के जख्म भी पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।
पीजीआई में 53 रोगियों पर आधारित यह रिसर्च हाल ही में पूरी हुई है। रिसर्च के मुताबिक खूनी दस्त से पीड़ित 53 मरीज को दो हिस्सों में बांटा गया। 28 मरीजों के एक वर्ग को हल्दी दी गई, जबकि दूसरे 25 मरीजों के वर्ग को स्टार्च से बना हल्दी जैसा पाउडर दिया गया। आठ हफ्ते तक रोजाना इन मरीजों पर निगरानी रखी गई। उसके बाद जब आंत का टेस्ट किया गया तो जख्म पूरी तरह से भर चुके थे और दस्त में खून आना भी बंद हो गया था। हल्दी में कुरकुमीन नाम का पदार्थ पाया जाता है, जिसमें मेडिसिन प्रापर्टी होती है और दवाई का काम करता है। रिसर्च से पहले हल्दी की शुद्धता मोहाली के नाइपर इंस्टीट्यूट में चेक कराई गई। टेस्ट में कुरकुमीन करीब 3.56% निकला, जो काफी अच्छा माना जाता है।
पीजीआई में हुई आठ हफ्ते की रिसर्च में हुआ खुलासा
हल्दी एक एंटीसेप्टिक है। इसमें कीटाणुओं को मारने की बेहतरीन क्षमता है। जिन लोगों के दस्त में खून आता है, उन लोगों को हल्दी खानी चाहिए। लगातार सेवन से यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
-डा. उषा दत्ता, एडिशनल प्रोफेसर गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, पीजीआई
हल्दी का ऐसे करें प्रयोग
रिसर्च टीम की लीडर डॉ. दत्ता के मुताबिक सूखी हल्दी बाजार से खरीदें और उसे घर पर या बाजार की चक्की में पिसवाएं। दस्त में खून आने पर पीड़ित रोगियों को सुबह-शाम पांच ग्राम हल्दी खानी चाहिए। कच्ची हल्दी भी खा सकते हैं। हल्दी को गर्म पानी में उबालना नहीं चाहिए।
क्यों आता है दस्त में खून
दस्त में खून आने की कई वजह हो सकती हैं। कई लोगों के पेट में कीड़े होते हैं। ये कीड़े धीरे-धीरे आंत में जख्मी कर देते हैं और दस्त में खून आने लगता है। मेडिकल साइंस में इसका पुख्ता इलाज उपलब्ध है, जो काफी महंगा है। इलाज के दौरान दी जाने वाली दवाओं के अपने साइड इफेक्ट भी हैं। यह बीमारी करीब 20 से 50 वर्ष की उम्र में होती है।

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Wednesday 20 November 2013

सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा)

एस्मा
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों के एक वर्ग द्वारा की जा रही हड़ताल के मद्देनजर लोकहित में अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) लागू कर दिया है। एस्मा संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था। इसके जरिये हड़ताल के दौरान लोगों के जनजीवन को प्रभावित करने वाली अत्यावश्यक सेवाओं की बहाली सुनिश्चित कराने की कोशिश की जाती है। इसमें अत्यावश्यक सेवाओं की एक लंबी सूची है, जिसमें सार्वजनिक परिवहन (बस सेवा, रेल, हवाई सेवा), डाक सेवा, स्वास्थ्य सेवा (डॉक्टर एवं अस्पताल) जैसी सेवाएं शामिल हैं। हालांकि राज्य सरकारें स्वयं भी किसी सेवा को अत्यावश्यक सेवा घोषित कर सकती हैं। जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में एस्मा लागू किया जा सकता है। एस्मा भले ही केंद्रीय कानून है, लेकिन इसे लागू करने की स्वतंत्रता ज्यादातर राज्य सरकारों पर निर्भर है। इसलिए देश के हर राज्य ने केंद्रीय कानून में थोड़ा परिवर्तन कर अपना अलग अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम बना लिया है। राज्यों को यह स्वतंत्रता केंद्रीय कानून में ही प्रदान की गई है।
यों तो यह कानून बहुत ही सख्त है, लेकिन इसकी सख्ती अक्सर दिखाई नहीं देती है। हमारे देश में एस्मा कानून का उपयोग आम तौर पर कम ही होता है। कई बार लंबी हड़ताल के बावजूद सरकारें एस्मा की घोषणा नहीं करती हैं। ऐसे भी उदाहरण हैं कि एस्मा लागू करवाने के लिए आम नागरिक अदालत की शरण में गए और अदालत के आदेश पर सरकार ने एस्मा लगाया, तो रातोंरात हड़ताल खत्म हुई। एस्मा लागू हो जाने के बाद हड़ताली कर्मचारियों को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है। इसके अलावा इसमें कारावास और जुर्माने का भी प्रावधान है।

Tuesday 19 November 2013

विदेशी चंदा विनियामक अधिनियम (एफसीआरए)

एफसीआरए
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में आज उस जनहित याचिका पर सुनवाई होगी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कांग्रेस एवं भाजपा ने विदेशी चंदा विनियामक अधिनियम (एफसीआरए), 2010 का उल्लंघन किया है। विदेशी चंदे को नियंत्रित करने के लिए आपातकाल के दौरान हमारे देश में फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन ऐक्ट, 1976 लागू किया गया था। लेकिन गृह मंत्रालय ने पाया कि कई स्वयंसेवी संगठन, धार्मिक समूह एवं चैरिटेबल एजेंसियां मानवीय उद्देश्यों के नाम पर चंदा लेकर उसे लाभप्रद कार्यों में लगा रही हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे को भांपकर भी सरकार विदेशी चंदा विनियामक अधिनियम, 2010 लेकर आई। विशेष कानून होने के नाते यह कानून फेमा जैसे कुछ कानूनों की जगह लेता है। मसलन, यदि किसी लेन-देन को फेमा के तहत मंजूरी मिली हुई है और एफसीआरए के तहत वह निषिद्ध है, तो उस पर प्रतिबंध लागू रहेगा। यह कानून विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों पर भी लागू होता है। अगर कोई व्यक्ति एक वर्ष में एक करोड़ से ज्यादा राशि का विदेशी चंदा लेता है, तो उसे सभी दाताओं से मिले चंदे एवं उसके उपयोग के बारे में उसी वर्ष जानकारी सार्वजनिक करनी होगी। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार, पत्रकार, स्तंभकार, संपादक, समाचार पत्र के मालिक एवं मुद्रक, जज, लोकसेवक, विधायक व राजनीतिक पार्टियां विदेशी चंदा नहीं ले सकती हैं। अगर चुनाव लड़ने वाला कोई उम्मीदवार अपने नामांकन से 180 दिन पहले विदेशी चंदा लेता है, तो उसे निर्धारित प्रपत्र में इसकी सूचना केंद्र सरकार को देनी होगी। वेतन, छात्रवृत्ति, अंतरराष्ट्रीय लेन-देन संबंधी भुगतान, रिश्तेदारों से मिले पैसे आदि को इस कानून से अलग रखा गया है।

periodic table


dhoomketu


Monday 18 November 2013

स्टेम सेल से ‘मिनी किडनी’ विकसित

स्टेम सेल से ‘मिनी किडनी’ विकसित
वाशिंगटन। किडनी के मरीजों के लिए अच्छी खबर है। पहली बार वैज्ञानिकों ने मानव स्टेम सेल से त्रि-आयामी ‘मिनी किडनी’ विकसित करने का दावा किया है। वैज्ञानिकों की इस सफलता से किडनी से जुड़ी बीमारियों के अध्ययन और गुर्दे की बीमारियों से निपटने वाली नई दवाएं विकसित करने में मदद मिलेगी।
इससे पहले वैज्ञानिक स्टेम सेल का इस्तेमाल कर किडनी सेल (कोशिका) विकसित करने में सफल रहे हैं। सॉल्क इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयलाजिकल स्टडीज के वैज्ञानिकों की टीम ने पहली बार स्टेम सेल से मानव किडनी जैसी त्रि-आयामी मिनी किडनी विकसित करने में सफलता हासिल की है। इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक सॉल्क जीन एक्सप्रेसन लैबोरेटरी के प्रोफेसर जुआन कार्लोस बेलमांट ने कहा है कि ‘हमने साधारण और प्रभावी तरीका ईजाद किया है, जिससे मानव सेल को थ्री-डी संरचना में विकसित किया गया, जो बाद में ‘कलेक्टिंग डक्ट सिस्टम’ के रूप में विकसित किया जा सकेगा। यह अध्ययन जर्नल नेचर सेल बॉयलोजी में प्रकाशित हुआ। एजेंसी

भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम

भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम
जबसे गुजरात सरकार द्वारा एक युवा महिला की कथित जासूसी करवाने से संबंधित मामला सामने आया है, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के साथ यह सवाल भी उठाया जा रहा है कि आखिर भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम के किस प्रावधान के तहत यह जासूसी कराई गई। हमारे देश में जो टेलीग्राफ कानून है, वह मूल रूप से अंग्रेजों के समय का है। यह कानून एक अक्तूबर, 1885 को लागू किया गया था। हालांकि उसमें संशोधन होते रहे हैं। भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत केंद्र सरकार या राज्य सरकार को आपातकाल या लोक-सुरक्षा के हित में फोन संदेश को प्रतिबंधित करने एवं उसे टेप करने तथा उसकी निगरानी का अधिकार हासिल है। नियम 419 एवं 419 ए में टेलीफोन संदेशों की निगरानी एवं पाबंदी लगाने की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। केवल सरकारी एजेंसियों को ही यह अधिकार हासिल है कि वह गृह मंत्रालय से पूर्व इजाजत लेकर किसी व्यक्ति का फोन टेप कर सकती हैं। हालांकि वित्त मंत्रालय एवं सीबीआई को यह अधिकार है कि सुरक्षा या कार्रवाई की वजह से वह गृह मंत्रालय की पूर्व इजाजत के बिना 72 घंटे तक किसी भी व्यक्ति का फोन टेप कर सकती है। फोन टेप करने की इजाजत केंद्र एवं राज्य सरकारों के गृह सचिव द्वारा दो महीने के लिए जारी की जाती है, जरूरत पड़ने पर उसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है। हमारे देश में फोन टेप करने के लिए कोर्ट की इजाजत लेने की जरूरत नहीं है, जैसा कि अन्य देशों में है। सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम के अस्तित्व में आने से न्यायिक हस्तक्षेप की गुंजाइश को बिल्कुल ही खारिज कर दिया गया है। अवैध रूप से फोन टेप करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है और इसके लिए तीन वर्ष तक की कैद एवं जुर्माने का प्रावधान है।

Sunday 17 November 2013

एक हजार शिक्षकों की भर्ती करेगा यूजीसी

एक हजार शिक्षकों की भर्ती करेगा यूजीसी

नई दिल्ली। विश्वविद्यालयों में अच्छे शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए यूजीसी ने पहली बार वैश्विक स्तर पर सीधे 1000 शिक्षकों की भर्ती करने का फैसला लिया है। भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए नियुक्त होने वाले इन शिक्षकों का वेतन भी यूजीसी प्रदान करेगा।
यूजीसी के अध्यक्ष वेद प्रकाश के अनुसार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे शिक्षकों का संकट दूर करने के लिए आयोग ने यह फैसला लिया है। दुनिया के तमाम देशों में भारतीय टैलेंट शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। ऐसे लोगों को भी भारतीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने बताया कि योजना के तहत दुनिया के विभिन्न देशों से भर्ती किए जाने वाले शिक्षकों, संबंधित विवि तथा यूजीसी के बीच त्रिपक्षीय समझौता होगा। इस योजना के तहत सहायक प्रोफेसर तथा प्रोफेसर दोनों पदों पर भर्ती की जाएगी।
विदेशों से भर्ती होकर आने वाले शिक्षकों को वेतन यूजीसी के माध्यम से प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया यूजीसी योजना के प्रथम चरण की शुरुआत कर चुका है। इसके तहत अभी तक 104 शिक्षकों की भर्ती की गई है।
वैश्विक स्तर पर होगी शिक्षकों की भर्ती

सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री

सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री
भारत रत्न से सम्मानित डॉ सीएनआर राव ने देश की वैज्ञानिक नीतियां बनाने में अमू्ल्य योगदान दिया है। लेकिन इस शीर्ष रसायनशास्त्री को जिस काम के लिए हमेशा याद किया जाता है, वह है, सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री (ठोस रसायनशास्त्र) में उनकी दक्षता। सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री को बोलचाल की भाषा में मैटेरियल केमिस्ट्री भी कहा जाता है। यह असल में रसायन विज्ञान का वह अंग है, जिसमें ठोस पदार्थों की संरचना, उसके गुण और संश्लेषण का अध्ययन किया जाता है। ऐसे पदार्थ आमतौर पर गैर-आणविक ठोस होते हैं। हीलियम, नियॉन, ऑर्गन जैसे पदार्थ ठोस गैर-आणविक के उदाहरण हैं, जो अमूमन नरम और विद्युत के कुचालक होते हैं।
सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री की तरफ रसायनशास्त्री तब ज्यादा संजीदा हुए, जब यह जानकारी मिली कि व्यावसायिक उत्पादों में इसकी प्रासंगिकता है। पेट्रोलियम प्रसंस्करण में प्लैटिनम आधारित उत्प्रेरक की आवश्यकता, माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के मुख्य घटक के रूप में अतिशुद्धता वाले सिलिकॉन की जरूरत आदि ने रसायनशास्त्रियों को सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री की तरफ प्रेरित किया। लेकिन इस विज्ञान की अनजानी परतों को खोलने का काम कार्ल वैगनर ने किया, जब वह ऑक्सीडेशन रेट थ्योरी पर काम कर रहे थे। यही वजह है कि वैगनर को सॉलिड-स्टेट केमिस्ट्री का जनक भी माना जाता है। हालांकि दिलचस्प यह भी है कि गैर-आणविक तत्वों का अध्ययन होने के कारण सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री का जुड़ाव सॉलिड-स्टेट फिजिक्स (ठोस भौतिकी), खनिज विज्ञान, क्रिस्टल विज्ञान, धातु विज्ञान, थर्मोडाइनेमिक्स जैसे विज्ञान के अन्य अंगों से भी है।

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पृथ्वी की अंतिम कक्षा में पहुंचा मंगलयान
चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बीती रात मंगलयान के कक्षा में परिवर्तन की अंतिम और पांचवी प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली। इसके साथ ही धरती से अब मंगलयान की अधिकतम दूरी 1.92 हजार किमी से अधिक हो गई है।
इसरो ने कहा कि रात 1.27 बजे 243.5 सेकेंड की बर्न टाइम में मंगलयान की कक्षा में बदलाव की प्रक्रिया पूरी की गई। इससे अब धरती से मंगलयान की अधिकतम दूरी 1,18,642 किमी से बढ़कर 1,92,874 किमी हो गई है। धरती की एक कक्षा से दूसरी कक्षा में मंगलयान को पहुंचाने के लिए इसरो ने पांच बार इस प्रक्रिया को अंजाम दिया है। कक्षा परिवर्तन की चौथी प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण इसरो को एक पूरक प्रक्रिया भी करनी पडी थी।
इन कक्षा परिवर्तन की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिए जाने के बाद अब मंगलयान को 30 नवंबर और एक दिसंबर की रात 12.42 बजे मंगल के सफर पर रवाना किया जाएगा, जो अब तक की सबसे जटिल प्रक्रिया होगी। इसके बाद करीब 10 महीने के सफर के बाद यान 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंचेगा। इसरो ने पांच नवंबर को अपने पीएसएलवी सी25 रॉकेट के जरिए मंगलयान को प्रक्षेपित किया था। एजेंसी

CNR RAO page 2

वैज्ञानिक सीएनआर राव...
वह सन 1985 में पहली बार और सन 2005 में दूसरी बार इस समिति के अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। उन्होंने पदार्थ के गुणों और उनकी आणविक संरचना के बीच बुनियादी समझ विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है। सन 1964 में उन्हें इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज का सदस्य नामित किया गया। सन 1967 में फैराडे सोसाइटी ऑफ इंग्लैंड ने राव को मार्लो मेडल दिया। सन 1968 में राव भटनागर अवार्ड से नवाजे गए। सन 1988 में जवाहरलाल नेहरू अवार्ड और सन 1999 में वह इंडियन साइंस कांग्रेस के शताब्दी पुरस्कार से सम्मानित हुए। भारत सरकार ने उन्हें 1974 में पदमश्री और 1985 में पदमविभूषण से सम्मानित किया। डॉ. राव को कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक रत्न की उपाधि दी है।
डॉ. राव का जन्म 30 जून 1934 को बंगलुरू में हुआ। वह अपने माता पिता की इकलौती संतान हैं। स्कूली दिनों से ही उनका रुझान रसायनशास्त्र की ओर हो गया और इसी को उन्होंने कैरियर के रूप में अपनाया। सन 1947 में राव ने अपनी हाईस्कूल परीक्षा पास की और विज्ञान में गहरी रुचि के कारण सेंट्रल कॉलेज बंगलुरू में दाखिला लिया। सिर्फ 17 की उम्र में ही बीएससी परीक्षा पास कर उन्होंने सबको चौंका दिया। बीएससी के बाद एमएससी के दौरान उन्हें रसायनज्ञ पलिंग की पुस्तक, नेचर अफ दी केमिकल बांड को पहली बार पढ़ने का मौका मिला। इस पुस्तक ने राव के मन में अणुओं के संसार के प्रति गहरी उत्सुकता जगा दी। एजेंसी
क्या है उपलब्धियां
l
50 से अधिक वर्षों से रिसर्च में जुटे हैं
l
1400 शोध पत्र और 45 किताबें प्रकाशित
l
कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित
l
नामी विश्वविद्यालयों और विज्ञान अकादमियों की सदस्यता और फेलोशिप
l
1974 में पद्म श्री और 1985 में पद्म विभूषण से सम्मानित
l
इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मैटिरियल साइंस के निदेशक रहे
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CNR RAO

वैज्ञानिक सीएनआर राव को भारत रत्न
सॉलिड स्टेट और मैटेरियल केमिस्ट्री के विशेषज्ञ के तौर पर पहचान
नई दिल्ली। प्रख्यात रसायन विज्ञानी प्रोफेसर सीएनआर राव को देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न के लिए चुना गया है। मुखर वैज्ञानिक प्रोफेसर चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव को दुनिया भर में सॉलिड स्टेट और मैटेरियल केमिस्ट्री में उनकी विशेषज्ञता की वजह से जाना जाता है। लगभग 1400 शोध पत्र और 45 किताबें लिख चुके प्रोफेसर राव का नाम दुनिया भर की विज्ञान अकादमियों में ब़ड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। प्रोफेसर राव सीवी रमन और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के बाद तीसरे वैज्ञानिक हैं, जिन्हें भारत रत्न से नवाजा जाएगा।
रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के लिए दुनिया भर की विज्ञान अकादमियों में उनकी पहचान है और ज्यादातर उन्हें अपनी सदस्यता और फेलोशिप से नवाज चुके हैं। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
डॉ. राव न केवल बेहतरीन रसायनशास्त्री हैं बल्कि उन्होंने देश की वैज्ञानिक नीतियों को बनाने में भी अहम भूमिका निभाई है। इस समय डॉ. राव प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं।

Saturday 16 November 2013

Science - विज्ञान से सम्बन्धित रोचक तथ्य

. ब्रह्माण्ड में 100 अरब आकाश गंगाएँ हैं।
. वैज्ञानिक जानकारी के अनुसार
पृथ्वी का जन्म 4.56 अरब
वर्ष पहले हुआ था।
. सूर्य से पृथ्वी तक आने में प्रकाश को 8
मिनट 17 सेकंड लगते
हैं।
. प्रकाश की गति 186,000 मील
प्रति सेकंड है।
. पृथ्वी अपनी धुरी पर 1000 मील
प्रति घण्टे की गति से
घूमती है और अन्तरिक्ष में 67,000 मील
प्रति घण्टे की गति से
चक्कर लगाती है।
. प्रतिवर्ष दस लाख भूकंप
पृथ्वी को कँपाते हैं।
. अब तक गिरे ओलों में सबसे बड़े ओले,
जो कि बांग्लादेश में सन्
1986 में गिरा था, का वजन 1 किलो था।
. गाज गिरने के कारण प्रतिवर्ष लगभग
1000 लोग मरते हैं।
.DNA की खोज Swiss Friedrich
Mieschler ने सन् 1869
में की थी।
. वाट्सन (Watson) और क्रिक (Crick) ने
सन् 1953 में
DNA की आण्विक संरचना सुनिश्चित
की थी।
. थर्मामीटर की खोज सन् 1607 में
गैलेलियो (Galileo) ने
की थी।
. आवर्धक लैंस (magnifying glass) की खोज
इंग्लिशमैन
रोगर बैकन (Englishman Roger Bacon)
ने सन् 1250 में
की थी।
. बारूद (dynamite) का आविष्कार
अल्फ्रेड नोबल (Alfred
Nobel) ने सन् 1866 में किया था।
. भौतिक शास्त्र के लिए नोबल पुरस्कार
प्रथम बार सन् 1895
में विल्थेलम रोन्टगन (Wilhelm Rontgen)
को एक्स-रे
की खोज के लिए मिला था।
. क्रिश्चन बर्नाड (Christian Barnard)
ने सन् 1967 में
पहली बार हृदय प्रतिरोपण (heart
transplant) किया था।
. एक विद्युत पैदा करने वाली मछली 650
वोल्ट तक
बिजली पैदा कर सकती है।
. मनुष्य के पेट में पाया जाने
वाला टेपवर्म (tapeworm) नामक
कृमि 22.9 मीटर तक लंबा हो सकता है।
. चिंपांजी 300 अलग अलग
संकेतों को समझने की बुद्धि रखते हैं।
. एबोला वायरस (Ebola virus) से
इन्फेक्टेड प्रति 5
व्यक्तियों में स 4 की मृत्यु हो जाती है।
. मनुष्य के शरीर में 60,000 मील
लम्बी रक्त नलिकाएँ होती हैं।
. एक रक्त कोशिका को सम्पूर्ण शरीर
का एक चक्कर लगाने के
लिए लगभग 60 सेकंड का समय लगता है।
. टेलीफोन के आविष्कारक अलेक्जेंडर
ग्राहम बेल (Alexander
Graham Bell) की मृत्यु के पश्चात उनके
पार्थिव शरीर
को दफनाते समय उन्हे श्रद्धांजलि देने के
उद्देश्य से सम्पूर्ण
US में 1 मिनट के लिए टेलीफोन सिस्टम
को बंद रखा गया था।
. चुम्बन लेने की अपेक्षा हाथ मिलाने में
अधिक जर्म्स
स्थानान्तरित होते हैं।
. आकाश से गिरने
वाली वर्षा की बूंदों की गति 18 मील
प्रति घण्टे तक होती है।
Interesting facts bout Human Body

1. एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में 206
हड्डियाँ होती हैं जबकि बच्चे के शरीर में 300
हड्डियाँ होती हैं (क्योंकि उनमें से कुछ गल जाती हैं
और कुछ आपस में मिल जाती हैं)।
2. मनुष्य के शरीर में सबसे छोटी हड्डी स्टेप्स
या स्टिरुप (stapes or stirrup) होती है
जो कि कान के बीच में होती है तथा जिसकी लंबाई
लगभग 11 इंच (.28 से.मी.) होती है।
3. मनुष्य के शरीर में मोटोर न्यूरोन्स (motor
neurons) सबसे लंबी सेल होती है जो कि रीढ़
की हड्डी से शुरू होकर पैर के टखने तक जाती है और
जिसकी लंबाई 4.5 फुट (1.37 मीटर) तक
हो सकती है।
4. मनुष्य की जाँघों की हड्डियाँ कंक्रीट से
भी अधिक मजबूत होती हैं।
मनुष्य की आँखों का आकार जन्म से लेकर मृत्यु तक
एक ही रहता है जबकि नाक और कान के आकार
हमेशा बढ़ते रहते हैं।
5. आदमी एक साल में औसतन 62,05,000 बार
पलकें झपकाता है।
खाए गए भोजन को पचने में लगभग 12 घण्टे लगते
हैं।
6. मनुष्य के जबड़ों की पेशियाँ दाढ़ों में 200 पौंड
(90.8 कि.ग्रा.) के बराबर शक्ति उत्पन्न करती हैं।
7. अभी तक प्राप्त आँकड़ों के अनुसार सबसे
भारी मानव मस्तिष्क का वजन 5 पौंड 1.1 औंस.
(2.3 कि.ग्रा..) पाया गया है।
8. एक सामान्य मनुष्य अपने पूरे जीवनकाल में
भूमध्य रेखा के पाँच बार चक्कर लगाने
जितना चलता है।
9. मनुष्य की मृत्यु हो जाने के बाद भी बाल और
नाखून बढ़ते ही रहते हैं।
मनुष्य की चमड़ी के भीतर लगभग45 मील (72
कि.मी.) लंबी तंत्रिकाएँ (नसें) होती हैं।
10. मनुष्य के शरीर के भीतर रक्त प्रतिदिन
60,000 मील (96,540 कि.मी.)
दूरी की यात्रा करता है।
1. एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में 206
हड्डियाँ होती हैं जबकि बच्चे के शरीर में 300
हड्डियाँ होती हैं (क्योंकि उनमें से कुछ गल जाती हैं
और कुछ आपस में मिल जाती हैं)।
चांद के बाद अब भारत मंगल ग्रह पर अपना यान भेज कर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक मील का पत्थर हासिल करने की दिशा में अग्रसर है। मंगल पर भेजे जाने वाले देश के पहले अंतरग्रहीय उपग्रह के मंगलवार को होने वाले प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तैयारियां पूरे जोरों पर हैं। जानिए भारत के मंगल अभियान से जुड़ी सभी बातें..
* Android Secrete codes

1. Phone Information, Usage and
Battery – *#*#4636#*#*
2. IMEI Number – *#06#
3. Enter Service Menu On Newer
Phones – *#0*#
4. Detailed Camera Information –
*#*#34971539#*#*
5. Backup All Media Files –
*#*#273282*255*663282*#*#*
6. Wireless LAN Test –
*#*#232339#*#*
7. Enable Test Mode for Service –
*#*#197328640#*#*
8. Back-light Test – *#*#0842#*#*
9. Test the Touchscreen –
*#*#2664#*#*
10. Vibration Test – *#*#0842#*#*
11. FTA Software Version –
*#*#1111#*#*
12. Complete Software and
Hardware Info – *#12580*369#
13. Diagnostic Configuration –
*#9090#
14. USB Logging Control –
*#872564#
15. System Dump Mode – *#9900#
16. HSDPA/HSUPA Control Menu –
*#301279#
17. View Phone Lock Status –
*#7465625#
18. Reset the Data Partition to
Factory State – *#*#7780#*#*
19. Format Your Device To Factory
State(will delete everything on your
phone) – *2767*3855#
20. Hidden Service Menu For
Motorola Droid – ##7764726
-: रोचक तथ्य :-
1. सानमारिनो विश्व का ऐसा देश है जहां दो राष्ट्रपति होते है.
2. रविवार की छुट्टी 1843 से शुरू हुयी.
3. विश्व में खट्टा शहद ब्राजील के जंगलो में मिलता है.
4. विश्व में कुल 2792 भाषाएँ बोली जाती है.
5. विश्व में स्पेन ऐसा देश है जहां कपड़ो पर अख़बार छपता है.
6. विश्व की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमति भंडार नायके है.
7. विश्व का पहला रिवोल्वर कोल्ट(अमेरिका) ने 1835 में बनाया है.
8. एक्वेस्टक ऐसा पदार्थ है जो आग में नहीं जलता.
9. विश्व में बिजली का अविष्कार 1672 में वान गुएरिके ने किया था.
10. विश्व का रूस ऐसा देश है जिसक एक भाग में शाम और एक भाग में दिन होता है.
11. चीन विश्व का ऐसा देश है जिसकी सीमा को तेरह देशो ने घेर रखा है.
-: रोचक तथ्य :-
1. सानमारिनो विश्व का ऐसा देश है जहां दो राष्ट्रपति होते है.
2. रविवार की छुट्टी 1843 से शुरू हुयी.
3. विश्व में खट्टा शहद ब्राजील के जंगलो में मिलता है.
4. विश्व में कुल 2792 भाषाएँ बोली जाती है.
5. विश्व में स्पेन ऐसा देश है जहां कपड़ो पर अख़बार छपता है.
6. विश्व की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमति भंडार नायके है.
7. विश्व का पहला रिवोल्वर कोल्ट(अमेरिका) ने 1835 में बनाया है.
8. एक्वेस्टक ऐसा पदार्थ है जो आग में नहीं जलता.
9. विश्व में बिजली का अविष्कार 1672 में वान गुएरिके ने किया था.
10. विश्व का रूस ऐसा देश है जिसक एक भाग में शाम और एक भाग में दिन होता है.
11. चीन विश्व का ऐसा देश है जिसकी सीमा को तेरह देशो ने घेर रखा है.

सौर ऊर्जा से एक मिनट में 60 लीटर पानी
व्यापार मेले में गाजियाबाद से आया सोलर पैनल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 100-100 वॉट की दो सोलर प्लेटें सूर्य से ऊर्जा लेती हैं और पैनल में फिट सबमर्सिबल जमीन के 100 फुट नीचे से पानी निकालता है। इसकी क्षमता एक मिनट में 60 लीटर पानी निकालने की है। ये प्लेटें .25 से लेकर 15 हॉर्स पावर के सबमर्सिबल का भार उठा सकती हैं, लेकिन इसके लिए अधिक वॉट की प्लेटें लगानी होंगी। छत पर लगने वाला यह पैनल महज एक मीटर जगह में फिट हो जाता है। प्लेट की कीमत प्रति वॉट की क्षमता के लिहाज से 50 रुपये है। इसे मेल में लेकर आए मिंडा एसएमयू के निदेशक गौरव मिंडा ने बताया कि प्लेट औले या बंदर आदि के बैठने से नहीं टूटती, लेकिन गिरने पर टूट जाती है। यह वाटर प्रूफ है और इसकी वारंटी 25 साल है। वहीं सौर ऊर्जा से चलने वाली दूध बिलोने की मशीन भी मौजूद है। जिसकी प्लेट को सूर्य की रोशनी में रखकर दही से मक्खन निकाला जा सकता है। इसमें महज 10 वॉट की सोलर प्लेट लगी है, जो आसानी से इस ब्लैंडर को घुमाने में कारगर है।