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Sunday 17 November 2013

सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री

सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री
भारत रत्न से सम्मानित डॉ सीएनआर राव ने देश की वैज्ञानिक नीतियां बनाने में अमू्ल्य योगदान दिया है। लेकिन इस शीर्ष रसायनशास्त्री को जिस काम के लिए हमेशा याद किया जाता है, वह है, सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री (ठोस रसायनशास्त्र) में उनकी दक्षता। सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री को बोलचाल की भाषा में मैटेरियल केमिस्ट्री भी कहा जाता है। यह असल में रसायन विज्ञान का वह अंग है, जिसमें ठोस पदार्थों की संरचना, उसके गुण और संश्लेषण का अध्ययन किया जाता है। ऐसे पदार्थ आमतौर पर गैर-आणविक ठोस होते हैं। हीलियम, नियॉन, ऑर्गन जैसे पदार्थ ठोस गैर-आणविक के उदाहरण हैं, जो अमूमन नरम और विद्युत के कुचालक होते हैं।
सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री की तरफ रसायनशास्त्री तब ज्यादा संजीदा हुए, जब यह जानकारी मिली कि व्यावसायिक उत्पादों में इसकी प्रासंगिकता है। पेट्रोलियम प्रसंस्करण में प्लैटिनम आधारित उत्प्रेरक की आवश्यकता, माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के मुख्य घटक के रूप में अतिशुद्धता वाले सिलिकॉन की जरूरत आदि ने रसायनशास्त्रियों को सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री की तरफ प्रेरित किया। लेकिन इस विज्ञान की अनजानी परतों को खोलने का काम कार्ल वैगनर ने किया, जब वह ऑक्सीडेशन रेट थ्योरी पर काम कर रहे थे। यही वजह है कि वैगनर को सॉलिड-स्टेट केमिस्ट्री का जनक भी माना जाता है। हालांकि दिलचस्प यह भी है कि गैर-आणविक तत्वों का अध्ययन होने के कारण सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री का जुड़ाव सॉलिड-स्टेट फिजिक्स (ठोस भौतिकी), खनिज विज्ञान, क्रिस्टल विज्ञान, धातु विज्ञान, थर्मोडाइनेमिक्स जैसे विज्ञान के अन्य अंगों से भी है।

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