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Tuesday 26 November 2013

अंतर-संसदीय संघ

अंतर-संसदीय संघ

संसदों के अंतरराष्ट्रीय संगठन अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया है कि संसद में महिला प्रतिनिधियों के लिहाज से हमारा देश 188 देशों की सूची में 108वें स्थान पर है। यहां लोकसभा में महज 11 प्रतिशत, तो राज्यसभा में 10.6 प्रतिशत महिलाएं हैं। आईपीयू का उद्देश्य, असल में, विश्वव्यापी संसदीय संवाद कायम करना और शांति एवं सहयोग बनाए रखते हुए लोकतंत्र को मजबूत बनाना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह सभी देशों की संसद तथा सांसदों के बीच समन्वय और अनुभवों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करता है और अंतरराष्ट्रीय हितों तथा सरोकारों के प्रश्नों पर विचार-विमर्श करता है। मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन में योगदान देने के साथ ही प्रतिनिधि संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण तथा विकास में भी यह अपना योगदान देता है।
सभी देशों के सांसदों को एक छत के नीचे लाने की पहल 1870-80 के दशक में शुरू हुई। जून, 1888 में जब अमेरिकी सीनेट ने अन्य देशों के साथ संबंधों को परिभाषित करने वाली कमेटी के प्रस्तावों को स्वीकार करने का फैसला लिया और इसकी प्रतिक्रिया में फ्रांस के चैंबर ने फ्रेडरिक पेसी के प्रस्तावों पर बहस करने को स्वीकृति दी, तो शांति बहाली के लिए ब्रिटिश सांसद विलियम रैंडल क्रेमर ने पेसी को पत्र लिखकर एक संयुक्त बैठक रखने का प्रस्ताव दिया। 31 अक्तूबर, 1888 को यह बैठक हुई, जिसके सकारात्मक परिणाम आए। इस उपलब्धि के संदर्भ में ही आईपीयू की स्थापना 1889 में हुई। विलियम क्रेमर और पेसी इसके सूत्रधार बने। आईपीयू का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है, और यह मुख्य रूप से अपने सदस्यों द्वारा वित्त पोषित है।

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