वैज्ञानिक सीएनआर राव...
वह सन 1985 में पहली बार और सन 2005 में दूसरी बार इस समिति के अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। उन्होंने पदार्थ के गुणों और उनकी आणविक संरचना के बीच बुनियादी समझ विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है। सन 1964 में उन्हें इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज का सदस्य नामित किया गया। सन 1967 में फैराडे सोसाइटी ऑफ इंग्लैंड ने राव को मार्लो मेडल दिया। सन 1968 में राव भटनागर अवार्ड से नवाजे गए। सन 1988 में जवाहरलाल नेहरू अवार्ड और सन 1999 में वह इंडियन साइंस कांग्रेस के शताब्दी पुरस्कार से सम्मानित हुए। भारत सरकार ने उन्हें 1974 में पदमश्री और 1985 में पदमविभूषण से सम्मानित किया। डॉ. राव को कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक रत्न की उपाधि दी है।
डॉ. राव का जन्म 30 जून 1934 को बंगलुरू में हुआ। वह अपने माता पिता की इकलौती संतान हैं। स्कूली दिनों से ही उनका रुझान रसायनशास्त्र की ओर हो गया और इसी को उन्होंने कैरियर के रूप में अपनाया। सन 1947 में राव ने अपनी हाईस्कूल परीक्षा पास की और विज्ञान में गहरी रुचि के कारण सेंट्रल कॉलेज बंगलुरू में दाखिला लिया। सिर्फ 17 की उम्र में ही बीएससी परीक्षा पास कर उन्होंने सबको चौंका दिया। बीएससी के बाद एमएससी के दौरान उन्हें रसायनज्ञ पलिंग की पुस्तक, नेचर अफ दी केमिकल बांड को पहली बार पढ़ने का मौका मिला। इस पुस्तक ने राव के मन में अणुओं के संसार के प्रति गहरी उत्सुकता जगा दी। एजेंसी
क्या है उपलब्धियां
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50 से अधिक वर्षों से रिसर्च में जुटे हैं
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1400 शोध पत्र और 45 किताबें प्रकाशित
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कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित
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नामी विश्वविद्यालयों और विज्ञान अकादमियों की सदस्यता और फेलोशिप
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1974 में पद्म श्री और 1985 में पद्म विभूषण से सम्मानित
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इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मैटिरियल साइंस के निदेशक रहे
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