Powered By Blogger

Tuesday 19 November 2013

विदेशी चंदा विनियामक अधिनियम (एफसीआरए)

एफसीआरए
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में आज उस जनहित याचिका पर सुनवाई होगी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कांग्रेस एवं भाजपा ने विदेशी चंदा विनियामक अधिनियम (एफसीआरए), 2010 का उल्लंघन किया है। विदेशी चंदे को नियंत्रित करने के लिए आपातकाल के दौरान हमारे देश में फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन ऐक्ट, 1976 लागू किया गया था। लेकिन गृह मंत्रालय ने पाया कि कई स्वयंसेवी संगठन, धार्मिक समूह एवं चैरिटेबल एजेंसियां मानवीय उद्देश्यों के नाम पर चंदा लेकर उसे लाभप्रद कार्यों में लगा रही हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे को भांपकर भी सरकार विदेशी चंदा विनियामक अधिनियम, 2010 लेकर आई। विशेष कानून होने के नाते यह कानून फेमा जैसे कुछ कानूनों की जगह लेता है। मसलन, यदि किसी लेन-देन को फेमा के तहत मंजूरी मिली हुई है और एफसीआरए के तहत वह निषिद्ध है, तो उस पर प्रतिबंध लागू रहेगा। यह कानून विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों पर भी लागू होता है। अगर कोई व्यक्ति एक वर्ष में एक करोड़ से ज्यादा राशि का विदेशी चंदा लेता है, तो उसे सभी दाताओं से मिले चंदे एवं उसके उपयोग के बारे में उसी वर्ष जानकारी सार्वजनिक करनी होगी। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार, पत्रकार, स्तंभकार, संपादक, समाचार पत्र के मालिक एवं मुद्रक, जज, लोकसेवक, विधायक व राजनीतिक पार्टियां विदेशी चंदा नहीं ले सकती हैं। अगर चुनाव लड़ने वाला कोई उम्मीदवार अपने नामांकन से 180 दिन पहले विदेशी चंदा लेता है, तो उसे निर्धारित प्रपत्र में इसकी सूचना केंद्र सरकार को देनी होगी। वेतन, छात्रवृत्ति, अंतरराष्ट्रीय लेन-देन संबंधी भुगतान, रिश्तेदारों से मिले पैसे आदि को इस कानून से अलग रखा गया है।

No comments:

Post a Comment