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Thursday, 13 February 2014

प्रायरिटी फॉरेन कंट्री

प्रायरिटी फॉरेन कंट्री


अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने ओबामा प्रशासन से कहा है कि वह भारत को प्रायरिटी फॉरेन कंट्री (पीएफसी) की श्रेणी में डाल दे। अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स का कहना है कि उसने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि पिछले दो वर्षों से भारत ने बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के संरक्षण में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है

 और इस लिहाज से वहां माहौल बहुत खराब हुआ है। प्रायरिटी फॉरेन कंट्री की श्रेणी अमेरिकी व्यापार कानून की वह श्रेणी है, जिसमें उन देशों को रखा जाता है, जो आईपीआर के ′पर्याप्त एवं प्रभावी′ संरक्षण से इन्कार करते हैं

और बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण पर निर्भर अमेरिकी लोगों को ′निष्पक्ष एवं न्यायसंगत′ बाजार में पहुंचने से रोकते हैं। अमेरिकी ट्रेड रिप्रजेंटेटिव (यूएसटीआर) हर वर्ष दूसरे देशों के बौद्धिक संपदा कानून एवं नीतियों का सर्वे करती है और उसके आधार पर स्पेशल 301 रिपोर्ट तैयार करती है।

इस रिपोर्ट में प्रायरिटी फॉरेन कंट्री, प्रायरिटी वॉच लिस्ट, वॉच लिस्ट, सेक्शन 306 मॉनिटरिंग एवं स्टेटस पेंडिंग की सूची तैयार की जाती है। स्पेशल 301 रिपोर्ट पहली बार 1989 में प्रकाशित की गई थी। उल्लेखनीय है

 कि अभी अमेरिका की स्पेशल 301 रिपोर्ट में भारत प्रायरिटी वॉच लिस्ट देशों की सूची में है। इस सूची में शामिल देशों की बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण से संबंधित कदमों एवं नीतियों की निगरानी अमेरिका करता है।

अगर भारत को पीएफसी की सूची में शामिल किया जाता है, तो भारतीय कंपनियां पेटेंट संरक्षण के तहत आने वाली दवाओं का जेनरिक तौर पर उत्पादन नहीं कर पाएंगी और भारतीयों को अमेरिकी कंपनियों की महंगी दवाइयों पर निर्भर रहना पड़ेगा। इसके अलावा भारत पर व्यापार संबंधी प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है।

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