क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र
केरल में पहली बार अंतरराष्ट्रीय लोकोत्सव का आयोजन किया गया है। इसका आयोजन राज्य सरकार ने पूर्वी और दक्षिणी सांस्कृतिक क्षेत्र के सहयोग से किया है। देश के संस्कृति मंत्रालय के अनुसार हमारे देश में सात सांस्कृतिक क्षेत्र हैं
-दक्षिणी सांस्कृतिक क्षेत्र (तंजावुर, तमिलनाडु), दक्षिण मध्य सांस्कृतिक क्षेत्र (नागपुर, महाराष्ट्र), उत्तरी सांस्कृतिक क्षेत्र (पटियाला, पंजाब), उत्तर मध्य सांस्कृतिक क्षेत्र (इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश), पूर्वी सांस्कृतिक क्षेत्र (कोलकाता, पश्चिम बंगाल), पूर्वोत्तर सांस्कृतिक क्षेत्र (दीमापुर, नगालैंड) एवं पश्चिमी सांस्कृतिक क्षेत्र (उदयपुर, राजस्थान)।
प्रत्येक सांस्कृतिक क्षेत्र का एक क्षेत्रीय मुख्यालय है, जहां क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की गई है। इन क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों की विशेषता है कि राज्य अपने सांस्कृतिक संपर्कों के आधार पर एक से अधिक सांस्कृतिक केंद्रों के सदस्य हो सकते हैं।
ज्यादातर सांस्कृतिक क्षेत्रों के क्षेत्रीय मुख्यालयों की स्थापना 1985 में हुई और उन्होंने 1986-87 के दौरान काम करना शुरू किया। इन सांस्कृतिक केंद्रों का घोषित उद्देश्य है-भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत बनाना और समग्र राष्ट्रीय संस्कृति को विकसित करना, ताकि प्रादेशिक एवं क्षेत्रीय सीमाओं के आरपार सांस्कृतिक भाईचारा बढ़ाया जा सके।
इसके अलावा ये केंद्र अन्य क्षेत्रों की लोक कलाओं को भी प्रोत्साहित करने के लिए कार्यक्रम आयोजत करते हैं। ऐसे केंद्र विभिन्न लोक व जनजातीय कलाओं और दुर्लभ होती कलाविधाओं के संरक्षण के साथ-साथ अपने शिल्पग्राम के माध्यम से शिल्पियों को हाट सुविधाएं भी उपलब्ध कराते हैं। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता को देश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता है।
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