माउंंट सिनाबंग ज्वालामुखी
इंडोनेशिया के उत्तरी सुमात्रा प्रांत में स्थित माउंट सिनाबंग ज्वालामुखी फिर से सक्रिय हो गया और इससे निकलने वाला लावा तीस गुना तक बढ़ गया है। उस इलाके से बीस हजार से ज्यादा लोगों को हटाया गया है। स्थानीय प्रशासन लगातार माउंट सिनाबंग के आसपास से लोगों को अलग रहने की अपील कर रहा है, लेकिन ज्वालामुखी से निकला लावा खेती के लिए उपजाऊ भूमि उपलब्ध कराता है, इसलिए लोग वहां बार-बार बसना चाहते हैं।
माउंट सिनाबंग इंडोनेशिया के 130 सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है, जो पिछले वर्ष सितंबर से काफी सक्रिय है। यह ज्वालामुखी 2,600 मीटर ऊंचा है। प्रशांत महासागर के आसपास ज्वालामुखीय घेरे में होने के कारण यह क्षेत्र भूकंपीय उथल-पुथल की दृष्टि से काफी संवेदनशील माना जाता है। माउंट सिनाबंग ज्वालामुखी की उत्पत्ति सुंडा आर्क से हुई है, जो यूरेशियाई चट्टान के नीचे इंडो-ऑस्ट्रेलियाई चट्टान के खिसकने से बनी है। सुंडा आर्क अंडमान द्वीप के बेसाल्टिक ज्वालामुखी शृंखला से जुड़ी है।
इस ज्वालामुखी के चार मुख हैं, जिनमें से एक ही सक्रिय है। लगभग चार सौ वर्षों तक निष्क्रिय रहने के बाद 29 अगस्त, 2010 को यह ज्वालामुखी सक्रिय हुआ था। पिछले सितंबर से रह-रहकर इससे लावा निकल रहा है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इससे निकल रहा लावा नदी के प्रवाह की तरह बह रहा है। ज्वालामुखी से निकलने वाली गैस और धूल आसमान में दो किलोमीटर ऊंची उड़ रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सिनाबंग एवं अन्य इंडोनेशियाई ज्वालामुखी हाल के समय में लगातार सक्रिय हो रहे हैं, लेकिन इसके बारे में कोई भी सटीक भविष्यवाणी करना संभव नहीं है।
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