पापुआ न्यू गिनी
दक्षिणी प्रशांत देश पापुआ न्यू गिनी (पीएनजी) इन दिनों एक दुखद घटना के कारण सुर्खियों में है। पिछले दिनों वहां ऑस्ट्रेलिया द्वारा चलाए जा रहे शरणार्थी शिविर में हिंसा होने के बाद इन शिविरों को बंद करने का दबाव बन रहा है। इन शरणार्थी शिविरों के हालात की संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों एवं मानवधिकार संगठनों ने भी आलोचना की है।
इन शरणार्थी शिविरों में रहने वाले लोग युद्ध जर्जर देशों-अफगानिस्तान, सूडान, इराक, ईरान, लेबनान, पाकिस्तान, सोमालिया एवं सीरिया से हैं। वैसे पापुआ न्यू गिनी सांस्कृतिक विविधता वाला देश है, जहां आठ सौ से ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं। 63 लाख की आबादी वाले इस देश में कई पारंपरिक समाज बसते हैं।
यहां की ज्यादातर आबादी ग्रामीण इलाकों में है, मात्र 18 फीसदी आबादी ही शहरों में रहती है। वर्ष 1884 से तीन विदेशी शासकों (आधा उत्तरी हिस्सा जर्मन, आधा दक्षिणी हिस्सा ब्रिटिश एवं बाद में आस्ट्रेलिया) द्वारा प्रशासित इस देश ने 1975 में तब संप्रभुता हासिल की, जब ऑस्ट्रेलिया ने इस पर शासन करना छोड़ दिया। उसी वर्ष यह संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बन गया था।
22 प्रांतों में बंटे इस देश की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी है। खनिज एवं प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस देश ने इतना विकास किया है कि 2011 में यह तेजी से विकास करने वाली दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई।
इसके बावजूद यहां की लगभग एक-तिहाई आबादी प्रतिदिन सवा डॉलर से भी कम पर गुजारा करती है। यहां की आबादी का बड़ा हिस्सा पारंपरिक ढंग से जीता है और आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है। देश के अंदरूनी हिस्से में वनस्पतियों एवं पशुओं की कई अज्ञात प्रजातियों के भी होने की संभावना जताई जाती है।
दक्षिणी प्रशांत देश पापुआ न्यू गिनी (पीएनजी) इन दिनों एक दुखद घटना के कारण सुर्खियों में है। पिछले दिनों वहां ऑस्ट्रेलिया द्वारा चलाए जा रहे शरणार्थी शिविर में हिंसा होने के बाद इन शिविरों को बंद करने का दबाव बन रहा है। इन शरणार्थी शिविरों के हालात की संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों एवं मानवधिकार संगठनों ने भी आलोचना की है।
इन शरणार्थी शिविरों में रहने वाले लोग युद्ध जर्जर देशों-अफगानिस्तान, सूडान, इराक, ईरान, लेबनान, पाकिस्तान, सोमालिया एवं सीरिया से हैं। वैसे पापुआ न्यू गिनी सांस्कृतिक विविधता वाला देश है, जहां आठ सौ से ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं। 63 लाख की आबादी वाले इस देश में कई पारंपरिक समाज बसते हैं।
यहां की ज्यादातर आबादी ग्रामीण इलाकों में है, मात्र 18 फीसदी आबादी ही शहरों में रहती है। वर्ष 1884 से तीन विदेशी शासकों (आधा उत्तरी हिस्सा जर्मन, आधा दक्षिणी हिस्सा ब्रिटिश एवं बाद में आस्ट्रेलिया) द्वारा प्रशासित इस देश ने 1975 में तब संप्रभुता हासिल की, जब ऑस्ट्रेलिया ने इस पर शासन करना छोड़ दिया। उसी वर्ष यह संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बन गया था।
22 प्रांतों में बंटे इस देश की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी है। खनिज एवं प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस देश ने इतना विकास किया है कि 2011 में यह तेजी से विकास करने वाली दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई।
इसके बावजूद यहां की लगभग एक-तिहाई आबादी प्रतिदिन सवा डॉलर से भी कम पर गुजारा करती है। यहां की आबादी का बड़ा हिस्सा पारंपरिक ढंग से जीता है और आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है। देश के अंदरूनी हिस्से में वनस्पतियों एवं पशुओं की कई अज्ञात प्रजातियों के भी होने की संभावना जताई जाती है।
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