उत्तरी ध्रुव
उत्तरी ध्रुव के लिए संघर्ष का एक नया दौर शुरू हो गया है। रूस द्वारा अपनी सेना को आर्कटिक महासागर क्षेत्र में उपस्थिति बढ़ाने के निर्देश दिए जाने के बाद अब कनाडा ने भी उत्तरी ध्रुव पर दावा करने का संकेत दिया है। कनाडा ने अपने अटलांटिक महासागर सीमा को बढ़ाने की मांग को लेकर संयुक्त राष्ट्र में आवदेन भी दिया है।
अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक, फिलहाल उत्तरी ध्रुव और इसके आसपास के आर्कटिक महासागर क्षेत्र पर किसी भी देश का अधिकार नहीं है। आर्कटिक महासागर के आसपास के पांच देश-रूस, कनाडा, नार्वे, डेनमार्क (ग्रीनलैंड के जरिये) और अमेरिका (अलास्का के जरिये) अपनी सीमाओं के 200 नॉटिकल-मील (370 किलोमीटर) तक के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र तक सीमित हैं, और इसके आगे के क्षेत्र का प्रशासन अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण के पास है।
इसके अलावा, स्वीडन, फिनलैंड और आइसलैंड जैसे दूसरे देश भी ध्रुवीय क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा का उपयोग करना चाहते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि इस क्षेत्र में तेल के सबसे बड़े भंडार हैं और सैन्य, रणनीतिक, परिवहन एवं पर्यटन की दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। उत्तरी ध्रुव पृथ्वी का सबसे सुदूर उत्तरी बिंदु है, जहां पर पृथ्वी की धुरी घूमती है।
यहां अत्यधिक ठंड पड़ती है, क्योंकि लगभग छह महीने यहां सूरज नहीं चमकता है। ध्रुव के आसपास का महासागर बहुत ठंडा है और सदैव बर्फ की मोटी चादर से ढका रहता है। उत्तरी तारा या ध्रुव तारा सदैव उत्तरी ध्रुव के आकाश पर निकलता है।
यह क्षेत्र आर्कटिक घेरा भी कहलाता है, क्योंकि वहां अर्धरात्रि के सूर्य (मिडनाइट सन) और ध्रुवीय रात (पोलर नाइट) का दृश्य भी देखने को मिलता है। यहां ध्रुवीय भालू, सील एवं कुछ पक्षी व मछली पाए जाते हैं।
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