प्रील्यूड
ऊर्जा और पेट्रोलियम रसायनों की कंपनी शेल ने दुनिया के सबसे ऊंचे जहाज प्रील्यूड के ढांचे को पहली बार दक्षिण कोरिया के समुद्र में उतारा है। न्यूयॉर्क के एम्पायर स्टेट बिल्डिंग से भी 150 फुट ऊंचा यह जहाज जब पूरी तरह बनकर तैयार होगा, तो इसका वजन छह लाख टन होगा। प्राकृतिक गैस के उत्पादन में मदद के लिहाज से निर्मित हो रहे इस जहाज को 2017 से काम में लिया जाएगा। 488 मीटर लंबे और 74 मीटर चौड़े इस ढांचे को छह सौ से ज्यादा इंजीनियरों ने मिलकर तैयार किया है। जलावतरण के बाद अगले 25 वर्ष तक इसे ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पश्चिमी तट पर ब्राउस बेसिन में तैनात किया जाएगा। चूंकि इस क्षेत्र में हर वर्ष नवंबर से अप्रैल तक चक्रवाती तूफान आते हैं, इसलिए इसे चक्रवाती तूफानों से मुकाबला करने के लायक तैयार किया जा रहा है। जानकारों के मुताबिक, इसकी निर्माण लागत 10.8 अरब डॉलर से 12.6 अरब डॉलर के बीच होगी। 2017 से इसके जरिये गैस का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। इसका भंडार टैंक इतना विशाल है कि उसमें 175 ओलंपिक स्विमिंग पूल के आयतन के बराबर द्रव इकट्ठा किया जा सकता है। यह प्राकृतिक गैस को ठंडा करने के लिए प्रति घंटे समुद्र से पांच करोड़ लीटर पानी खींचेगा। इसके निर्माण में न सिर्फ दो लाख साठ हजार टन से भी ज्यादा इस्पात का इस्तेमाल किया जाएगा, बल्कि तीन हजार किलोमीटर से भी अधिक लंबाई के तार इसमें लगाए जाएंगे, जो बार्सिलोना से मॉस्को तक की दूरी के बराबर है। उम्मीद जताई जा रही है कि इससे इतनी गैस का उत्पादन किया जाएगा, जो हांगकांग जितने बड़े किसी शहर की ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकती है। यह दुनिया की पहली तैरती प्राकृतिक गैस परियोजना है।
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