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Thursday, 12 December 2013

विश्व खाद्य कार्यक्रम

विश्व खाद्य कार्यक्रम

विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्‍ल्यूएफपी) ने हाल ही में 2013 के लिए 169 देशों के संदर्भ में जारी अपनी रिपोर्ट में भारत के मध्याह्न भोजन (मिड डे मील) कार्यक्रम की सराहना की है। रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूल में भोजन की उपलब्‍धता पर केंद्रित भारत का यह कार्यक्रम दुनिया में सबसे बड़ा है। इसके जरिये देश के 12 करोड़ से भी ज्यादा बच्चों को भोजन उपलब्‍ध कराया जाता है।

 ′स्कूल आहार की वैश्विक स्थिति, 2013′ नामक यह रिपोर्ट विश्व खाद्य कार्यक्रम के 2012 में किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित है।
विश्व खाद्य कार्यक्रम पूरे विश्व से भूख को समाप्‍त करने की मुहिम में जुटी दुनिया की सबसे बड़ी मानवतावादी एजेंसी है। यह संयुक्त राष्‍ट्र का अंग है। विभिन्‍न राष्‍ट्रों, वैश्विक कंपनियों और व्यक्तिगत स्तर पर दुनिया के तमाम लोगों से प्राप्‍त होने वाली आर्थिक सहायता के जरिये डब्‍ल्यूएफपी अपने दायित्वों का निवर्हन करता है। इस कार्यक्रम की शुरुआत1961 में हुई।

 डब्‍ल्यूएफपी का लक्ष्य एक ऐसी दुनिया की स्‍थापना करना है. जिसमें हर पुरुष, महिला और बच्चे को सक्रिय और स्वस्‍थ जीवन जीने के लिए जरूरी और पोषक आहार उपलब्‍ध कराया जा सके। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए यह खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और कृषिगत विकास हेतु अंतरराष्‍ट्रीय कोष (आईएफएडी) समेत विभिन्न देशों की सरकारों और गैर सरकारी संगठनों का सहयोग लेता है।

 80 देशों के तकरीबन नौ करोड़ लोग हर वर्ष इस कार्यक्रम से लाभान्वित होते हैं। डब्‍ल्यूएफपी के संगठन में लगभग 13,500 लोग कार्यरत हैं, जिनमें से ज्यादातर सुदूरवर्ती क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। वर्तमान में इसकी कार्यकारी निदेशक अमेरिका की एर्थरिन कजिन हैं।

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