प्रतिस्पर्धा कानून
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने प्रस्तावित विदेश व्यापार नीति में प्रतिस्पर्धा कानून लागू करने का सुझाव दिया है, ताकि भारतीय बाजारों में उचित प्रतिस्पर्धा हो सके।
प्रतिस्पर्धा कानून मुख्यतः वह कानून है, जो कंपनियों की प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों पर नजर रखते हुए बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है। अपने देश में इससे संबंधित कानून है, प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल असर डालने वाले व्यवहार को रोकने के लिए आयोग की स्थापना करना, बाजारों में प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करना, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और कंपनियों द्वारा किए जा रहे व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है। हालांकि इस अधिनियम से पहले भी हमारे देश में प्रतिस्पर्धा कानून था। उसका नाम एकाधिकार और अवरोधक व्यापार व्यवहार (एमआरटीपी) अधिनियम था। यह देश का पहला प्रतिस्पर्धा कानून था, जो 1969 में लागू हुआ।
लेकिन 1990 के दशक में जब अर्थव्यवस्था को उदार बनाया गया और मुक्त व्यापार के दरवाजे खोले गए, तो यह कानून कई मामलों में बेअसर साबित हुआ। नतीजतन 2002 में एमआरटीपी को निरस्त कर प्रतिस्पर्धा अधिनियम पारित किया गया, जो 2003 से लागू हो गया। इस अधिनियम में 2007 और 2009 में संशोधन भी किए गए। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) का गठन भी इसी अधिनियम के तहत किया गया है। सीसीआई एक स्वायत्त निकाय है, जिसे अर्ध-न्यायिक शक्तियां मिली हुई हैं। दिलचस्प है कि प्रतिस्पर्धा कानून को अमेरिका में एंटीट्रस्ट लॉ, तो चीन और रूस में एंटीमोनोपोली लॉ कहा जाता है। ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में इसे ट्रेड प्रैक्टिस लॉ कहकर पुकारा जाता है।
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