सूर्य के बड़े दिखने का रहस्य
दुनिया रंग रंगीली

अकसर हम यह देखते हैं कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय हमें सूर्य बड़ा दिखता है, लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य बड़ा क्यों दिखता है?
अकसर हम यह देखते हैं कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय हमें सूर्य बड़ा दिखता है, लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य बड़ा क्यों दिखता है?
उस वक्त उसकी किरणें हल्की होती हैं। ऐसे में वह हमें पूर्ण रूप में दिखता है, लेकिन जब वह पूरी तरह उदित हो जाता है तो उसकी किरणों की रोशनी बहुत तेज हो जाती है। सूर्य हमारी पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर दूर है।
यह मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम से बना है। सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में 8 मिनट 19 सेकेंड का समय लगता है।
शाम के समय प्रकाश के हल्के और कमजोर होने से सूर्य हमें स्पष्ट और पूरा दिखाई देता है परंतु जब सूर्य दोपहर के समय ठीक पृथ्वी के ऊपर होता है,उस समय उसकी तेज किरणें पृथ्वी की ओर आती हैं। उन तेज किरणों के असर से हमें सूर्य का बाहरी हिस्सा न दिखकर सिर्फ अंदर का ही भाग नजर आता है।
पक्षियों का रोचक संसार
-उत्तरप्रदेश में पाया जाना वाला हरियल नाम का पक्षी कभी जमीन पर पैर नहीं रखता।
-डक हाक विश्व का सबसे तेज उडऩे वाला पक्षी है। यह 180 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ता है।
-विश्व का सबसे छोटा पक्षी हमिंग बर्ड है।
-विश्व का सबसे बातूनी पक्षी प्रडूल है। यह भूरे रंग का नर होता है और अफ्रीका में पाया जाता है।
-सहदूल या उकाब पक्षी विश्व का सबसे विशाल पक्षी है। यह हाथी जैसे विशाल जानवर को भी पंजे में दबाकर उड़ जाता है। यह रूस में पाया जाता है।
-पिट्टा चिडिय़ा के पंख 9 रंग के होते हैं और यह ऑस्ट्रेलिया में पायी जाती है।
-बिटर्न पक्षी की आवाज बाघ की तरह होती है और यह दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है।
-ऑस्ट्रेलिया में काले रंग के हंस पाये जाते हैं।
तारे निरंतर एक समान चमकते रहते हैं। दरअसल तारों से छूटती रोशनी को हमारी आंखों तक पहुंचने से पहले वायुमंडल में विद्यमान अवरोधों का सामना करना पड़ता है। अत: उनकी रोशनी रास्ते में विचलित होती रहती है,
सीधी हम तक नहीं पहुंच पाती क्योंकि वायुमंडल में हवा की कई चलायमान परतें होती हैं। यह परतें तारों की रोशनी के पथ को बदलती रहती हैं।
इसके फलस्वरूप उनकी रोशनी हमारी नजरों से कभी ओझल, कभी प्रकट होती रहती है। इसीलिए तारे टिमटिमाते दिखाई देते हैं।
उल्लू एक रात्रिचारी पक्षी है। वह अपनी आंख और गोल चेहरे के कारण बहुत प्रसिद्ध है। ये बहुत कम रोशनी में भी देख लेते हैं।
इसलिए इन्हें रात्रि में शिकार करने में ज्यादा परेशानी नहीं होती। अकसर हम यह जानते हैं कि उल्लू दिन में देख नहीं सकता, लेकिन यह बात झूठ है।
इसके ठीक विपरीत उल्लू के नेत्रों में प्रचंड रोशनी भरी पड़ी है, इसलिए वह केवल रात में ही देख पाता है।
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