खबर अच्छी हो या बुरी, इसका असर हमारे मूड पर जरूर पड़ता है। निजी जिंदगी की उलझनों के अलावा हर रोज अखबार या फिर टीवी पर क्राइम समेत दूसरी कई दुखद खबरों से हमारा सामना होता है। हाल की एक रिसर्च बताती है कि इस तरह की बुरी खबरों से हमारा दिल-दिमाग गहरे तक प्रभावित होता है। लगातार बुरी खबरें अगर मिलती रहें, तो इसका सीधा असर हमारी मनोदशा पर पड़ता है और इम्यून सिस्टम खतरे में पड़ सकता है। तेल अवीव यूनिवर्सिटी की यह रिसर्च बताती है कि लगातार नकारात्मक खबरों की वजह से इन्सान उदासी से घिर जाता है। प्रमुख शोधकर्ता डॉ. मोश शाय बेन-हेम के मुताबिक मूड ठीक न हो, तो इससे हमारी संज्ञानात्मक शक्ति पर भी असर पड़ता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हम अपने सहज ज्ञान से बुरी खबरों को नजरअंदाज करके एक अच्छे दिन की शुरुआत कर सकते हैं।
कई बार सुबह-सुबह बुरी खबर से हमारा सामना हो जाता है, तो इससे दिन भर मूड खराब रहता है और कामकाज प्रभावित होता है। शोधकर्ताओं ने इस बात की पड़ताल ‘इमोशनल स्ट्रूप टास्क’ टेस्ट से की है। इसमें प्रतिभागियों को विभिन्न रंगों में कई तरह के शब्द िदए जाते हैं, जिनके रंगों की पहचान उन्हें करनी होती है। इस दौरान नकारात्मक संदेश देने वाले शब्दों को पहचानने में प्रतिभागियों ने ज्यादा समय लगाया। इसके बाद जिन प्रतिभागियों का मूड ऑफ हो गया, उन्होंने प्रश्नावली में सवालों के जवाब देने में भी काफी वक्त लगाया। जिसका निष्कर्ष शोधकर्ताओं ने निकाला कि नकारात्मक शब्द हमारा ध्यान विपरीत दिशा में ले जाते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार नकारात्मक शब्दों से एक तरह का डर हमारे दिमाग में पैदा हो जाता है।
रिसर्च
अगर सुबह-सवेरे अखबार की सुर्खियों के साथ-साथ दिन भर लगातार बुरी खबरें मिलती रहें, तो इसका सीधा असर हमारी मनोदशा पर पड़ता है और इम्यून सिस्टम खतरे में पड़ सकता है।
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