मैंग्रेवा द्वीप
प्रशांत महासागर के बीच स्थित फ्रेंच पोलिनेशिया के गैंबियर द्वीप समूह का एक छोटा-सा द्वीप मैंग्रेवा इन दिनों गणितज्ञों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
इसकी खास वजह यह है कि एंड्रिया बेंडर एवं शीगर्ड बेलर जैसे मानवविज्ञानियों ने प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में पेश रिपोर्ट में बताया है कि जर्मन गणितज्ञ गोटफ्राइड लीबनीज द्वारा युग्म गणना प्रणाली (बाइनरी सिस्टम) की खोज करने से पहले ही मैंग्रेवा द्वीप के लोगों द्वारा इस प्रणाली का प्रयोग किया जाता था।
गणना की मुख्यतः दो प्रणाली प्रचलित हैं, युग्म प्रणाली एवं दशमलव प्रणाली। युग्म प्रणाली में आधार अंक एक एवं शून्य होते हैं, जबकि दशमलव प्रणाली में आधार अंक दस होता है। आम लोग जहां दशमलव प्रणाली का प्रयोग करते हैं, वहीं कंप्यूटर द्वारा युग्म प्रणाली का प्रयोग किया जाता है।
फ्रांसीसी मिशनरियों के इस द्वीप पर पहुंचने से पहले मैंग्रेवा के लोग इन दोनों प्रणालियों का उपयोग करते थे। इस द्वीप की सामाजिक संरचना वर्गीकृत थी, जिसमें राजा सबसे बड़ा माना जाता था। सामाजिक रस्म के तौर पर राजा को वहां की जनता कछुआ, नारियल, मछली आदि उपहार में देती थी, जिन्हें राजा पुनः लोगों में बांट देता था।
इस लेन-देन में गिनती के लिए युग्म प्रणाली का प्रयोग आसान था। 2007 में इस द्वीप की आबादी 1,641 थी। एक समय यह जंगलों से आच्छादित था। यहां पहुंचने वाला पहला यूरोपीय ब्रिटिश कैप्टन जेम्स विल्सन था, जो 1797 में यहां पहुंचा था।
उसी ने अपने जहाज के निर्माण में मदद करने वाले एडमिरल जेम्स गैंबियर के सम्मान में इस द्वीप समूह का नाम गैंबियर रखा। 1881 में फ्रांस का उपनिवेश बनने से पहले तक कई राजाओं ने इस द्वीप पर शासन किया।
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