राष्ट्रपति संदर्भ
एक लॉ इंटर्न के यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए. के. गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग पर सरकार ′प्रेजिडेंशियल रेफरेंस′ यानी राष्ट्रपति संदर्भ की तैयारी में है।
इसके तहत राष्ट्रपति के माध्यम से इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय की राय प्राप्त की जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय की राय को पहले केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी हासिल करनी होगी और उसके बाद उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। फिर राष्ट्रपति के आदेश से ए के गांगुली को उनके पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
इससे पहले 122 टेलीकॉम लाइसेंस रद्द होने के बाद 2012 में सरकार ने प्रेजिडेंशियल रेफरेंस मांगा था। इसमें पूछा गया था कि सरकार के नीतिगत मामलों में, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन भी शामिल है, न्यायालय किस हद तक दखल दे सकता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति से राय मांगी जाती है। अनुच्छेद 143 (1) में कहा गया है कि किसी भी समय जब राष्ट्रपति के सन्मुख यह प्रकट होता है कि कोई विधि या तथ्य का प्रश्न उपस्थित हो गया है या होने की संभावना है, जो जन महत्व का है और जिसमें सर्वोच्च न्यायालय का परामर्श प्राप्त किया जाना आवश्यक है, तो वह ऐसे प्रश्न शीर्ष अदालत को विचार करने और परामर्श देने के लिए संप्रेषित कर सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय ऐसे प्रश्न पर सुनवाई करने के उपरांत, जिसे वह उचित समझता है, राष्ट्रपति को अपने परामर्श से अवगत करा सकता है। इससे पहले 2004 में केंद्र सरकार ने पंजाब और हरियाणा के बीच पानी के बंटवारे के मामले में राष्ट्रपति संदर्भ का सहारा लिया था।
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