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Monday, 30 December 2013

क्रॉसवर्ड (वर्ग पहेली)

क्रॉसवर्ड
पिछले दिनों क्रॉसवर्ड ने, जिसे हिंदी में हम शब्द पहेली या वर्ग पहेली कहते हैं, सौ वर्ष पूरा कर लिया। इसकी शुरुआत करने का श्रेय लिवरपुल के आर्थर वेन नाम के उस व्यक्ति को जाता है, जो खेती छोड़कर पत्रकार बनने के लिए अमेरिका गया था। 

न्यूयॉर्क वर्ल्ड का संपादक बनने के बाद उसने 21 दिसंबर, 1913 को अपने रविवारीय अंक में एक वर्ग पहेली (क्रॉसवर्ड) प्रकाशित किया। वह क्रॉसवर्ड हालांकि आज के क्रॉसवर्ड से अलग था, क्योंकि उसका आकार हीरे के आकार जैसा था और उसके भीतर कोई भी काला वर्ग नहीं था, लेकिन उसमें इस विधा की तमाम विशेषताएं मौजूद थीं। 

आर्थर वेन के मुताबिक, क्रॉसवर्ड उतना ही पुराना है, जितनी पुरानी भाषा है। 1920 के दशक के दौरान अन्य अखबारों ने भी दिमागी कसरत के इस नए साधन का प्रकाशन शुरू किया और एक दशक के भीतर ही लगभग सभी अमेरिकी अखबारों में यह छपने लगा। एक दशक बाद ही यह यूरोप के देशों में भी लोकप्रिय हो गया। संडे एक्सप्रेस पहला ब्रिटिश अखबार था, जिसने 1924 में क्रॉसवर्ड प्रकाशित किया। ब्रिटेन में पहली बार 1922 में पियर्सन्स मैगजीन में क्रॉसवर्ड प्रकाशित हुआ। 

शीघ्र ही ब्रिटिश क्रॉसवर्ड ने अपनी अलग शैली विकसित की। यह अमेरिकी क्रॉसवर्ड की तुलना में कठिन थी। क्रॉसवर्ड की पहली पुस्तक वर्ष 1924 में साइमन और शूस्टर द्वारा प्रकाशित की गई। उस अनूठी पुस्तक के साथ एक पेंसिल भी जुड़ी होती थी। क्रॉसवर्ड शब्द पहली बार डिक्शनरी में 1930 में शामिल किया गया। आज दुनिया भर की विभिन्न भाषाओं, मसलन-फ्रेंच, स्पेनिश, इतालवी, जर्मन, डच, हिंदी, हंगेरियन, रूसी, पुर्तगाली आदि में क्रॉसवर्ड (वर्ग पहेली) प्रकाशित हो रहे हैं और वे काफी लोकप्रिय हैं।

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