नैनीगेट
भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े मामले को मीडिया के कुछ हिस्सों में नैनीगेट कहा जा रहा है। नैनीगेट शब्द का प्रचलन जनवरी, 1993 में तब हुआ था, जब अमेरिका के अटर्नी जनरल पद के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दो पसंदीदा उम्मीदवारों-जोय बेयर्ड एवं किंबा वुड के मनोनयन को वहां की संसद ने राजनीतिक समर्थन देने से मना कर दिया था। इसकी मुख्य वजह यह थी कि दोनों ने अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए अवैध रूप से विदेशी नौकरानियां (जिसे अमेरिका में नैनी कहा जाता है) रखी थीं।
पहला मामला कॉरपोरेट वकील जोय बेयर्ड से संबंधित था, जिन्होंने अपने बच्चे की देखभाल के लिए पेरु से अवैध तौर पर नौकरानी को रखा था और उसे उचित वेतन भी नहीं दे रही थीं। क्लिंटन प्रशासन ने शुरू में इसे महत्वहीन समझा, लेकिन जैसे ही मीडिया में यह खबर आई, जोय बेयर्ड के खिलाफ जनभावना भड़क उठी। आठ दिनों के भीतर क्लिंटन प्रशासन को बेयर्ड का मनोनयन वापस लेना पड़ा। अगले महीने इसी पद के लिए क्लिंटन किंबा वुड को अपनी अगली पसंद के रूप में मनोनीत करने वाले थे, तभी मीडिया रिपोर्टों से पता चला कि उन्होंने भी बच्चों की देखभाल के लिए एक विदेशी महिला को नौकरी पर रखा है।
नैनीगेट शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकी पत्रकार अन्ना क्विंडलेन ने किया। उसके बाद तो दुनिया भर में इस शब्द का प्रयोग होने लगा। इस घटना ने समृद्ध परिवारों के गुप्त धन और घरेलू नौकर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर होने वाले अवैध अप्रवासन का भंडाफोड़ किया। नैनीगेट जैसे विवाद उसके बाद भी राजनीतिक नियुक्तियों को प्रभावित करते रहे हैं।
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