Powered By Blogger

Tuesday 10 December 2013

नेल्सन मंडेला

मैं जानता हूं कि मेरी और मेरे साथियों की रिहाई के लिए देश और विदेश में बहुत सारे आंदोलन चलाए जा रहे हैं, जिससे हमें बहुत प्रेरणा मिलती है और लगता है कि लाखों लोग हमारे मित्र हैं। पत्नी और परिवार के प्रेम के बाद मुझे जिस बात से सबसे अधिक उत्साह मिलता है, वह यह कि हमें बदनाम करने के और लोगों से अलग-थलग करने के शत्रु के सब प्रयासों के बावजूद सब जगह ऐसे लोग हैं, जो हमें भूले नहीं हैं। लेकिन हम अपने शत्रु को अच्छी तरह जानते हैं- कि वे हमें शक्ति की स्थिति में नहीं, दुर्बलता की स्थिति में रिहा करना चाहेंगे और यह अवसर वे कभी नहीं छोड़ेंगे।

 हमारे मित्र हमारी रिहाई पर बहुत बल दे रहे हैं, लेकिन यथार्थवादी दृष्टि से हमें यही लगता है कि यह संभव नहीं होगा। लेकिन मैं बहुत आशावादी हूं, जेल की दीवारों के भीतर से भी मुझे घने बादल और क्षितिज पर नीला आसमान दिखाई देता है-कि हमारी गणनाएं चाहे जितनी गलत क्यों न हों और अपने जीवन में और भी कितनी कठिनाइयां क्यों न सहनी पड़ें, लेकिन इसी जीवनकाल में मैं बाहर निकलकर सूरज की रोशनी में चलूंगा और जमीन पर मजबूत कदमों से चलूंगा, क्योंकि ये घटनाएं मेरे संगठन की शक्ति और देशवासियों के दृढ़ निश्चय के कारण घटित होंगी।
...
दक्षिण अफ्रीकी गणतंत्र के पहले लोकतंत्रीय ढंग से निर्वाचित राष्ट्रपति के रूप में मेरी नियुक्ति मेरे परामर्श के विपरीत की गई।
चुनाव के दिन पास आने पर तीन वरिष्ठ एएनसी नेताओं ने मुझे बताया कि उन्होंने संगठन में व्यापक रूप से परामर्श करके यह पाया है कि यदि हम चुनाव जीत जाते हैं, तो मुझे राष्ट्रपति के पद के लिए खड़ा होना चाहिए। मैंने इस प्रस्ताव के विरुद्ध कहा कि इस वर्ष मैं 76 वर्ष का हो जाऊंगा, इसलिए अच्छा यह होगा कि किसी युवा पुरुष या स्त्री को इस पद के लिए चुनें, जो जेल से बाहर रहा हो, राष्ट्र और सरकारों के अध्यक्षों से मिलता रहा हो, विश्व और प्रदेशीय संस्थाओं की मीटिंग में भाग लेता रहा हो, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों से परिचित हो और जो भविष्य में होने वाली घटनाओं का भी अनुमान लगा सके।

मैंने इन नेताओं से कहा कि मैं कोई भी पद ग्रहण किए बिना सेवा करना चाहूंगा, लेकिन इनमें से एक ने मुझे धराशायी कर दिया। उसने मुझे याद दिलाया कि मैं हमेशा संयुक्त नेतृत्व के निर्णयों का कायल रहा हूं और जब तक हम इसका पालन करेंगे, हमसे भूल नहीं होगी। उसने मुझसे सीधा सवाल किया कि अब मैं क्यों इससे पीछे हट रहा हूं। मैंने उनका प्रस्ताव स्वीकार करने का फैसला कर लिया। लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया कि मैं केवल एक बार ही यह पद स्वीकार करूंगा।
...
रंगभेद शासन ने व्यवस्था और कानून की धज्जियां उधेड़कर रख दी थीं। 

जनता के मानवाधिकारों को एकदम खत्म कर दिया गया था, मुकदमा चलाए बिना सजा दी जाती थीं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं को प्रताड़ना दी जाती थी और हत्याएं की जाती थीं, अपील के कोर्ट के स्वतंत्र न्यायाधीशों की शासन के खिलाफ फैसले देने के लिए खुली आलोचना की जाती थी और उनके स्थान पर समर्थकों की नियुक्तियां की जाती थीं। पुलिस, विशेष रूप से उसकी सुरक्षा शाखा, अपना अलग कानून चलाती थी। इन सब कारणों से और अपने निजी विश्वासों के कारण भी, मैंने कानून तथा न्याय के पक्ष में वातावरण उत्पन्न करने के लिए हर घटना का उपयोग किया...अब नए दक्षिण अफ्रीका में कोई भी व्यक्ति, स्वयं राष्ट्रपति भी, कानून से ऊपर नहीं है।

और अंत में, जेल से 26 अप्रैल, 1981 को विन्नी मंडेला को लिखा एक पत्र-
मैं सपने देखता रहता हूं अच्छे भी, बुरे भी। गुड फ्राइडे की शाम तुम और मैं एक पहाड़ी की चोटी पर एक कॉटेज में थे, जिसके सामने एक गहरी घाटी फैली थी और एक जंगल के किनारे विशाल नदी बह रही थी। मैंने देखा कि तुम पहाड़ी से नीचे उतर रही हो, लेकिन पहले की तरह तुम स्वस्थ नहीं हो और तुम्हारे पैर डगमगा रहे हैं। तुम्हारा सिर बराबर नीचे झुका रहता है, जैसे अपने पैरों के पास तुम किसी चीज की तलाश कर रही हो। तुमने नदी पार की, मेरा सारा प्यार लेकर और मुझे खाली-खाली छोड़कर आगे बढ़ गईं। मैं तुम्हें जंगल में निरुद्देश्य इधर-उधर घूमते देखता रहता हूं, तुम नदी के साथ-साथ चल रही हो।

तुम्हारी सुरक्षा के लिए मेरी चिंता और तुम्हारे लिए मेरी शुद्ध कामना मुझे नीचे पहाड़ी की तरफ लिए जा रही है और तुम भी नदी पार करके वापस कॉटेज की तरफ आ रही हो। खुली हवा और सुंदर वातावरण में तुमसे मिलने की संभावना मेरे मन में पुरानी यादें जगा देती हैं और मैं सोच रहा हूं कि तुम्हारा हाथ पकड़कर खूब कसकर तुम्हारा चुंबन करूंगा, लेकिन घाटी की गहरी फैली खाइयों में तुम गायब हो जाती हो, मैं निराशा में डूब जाता हूं, लेकिन जब मैं कॉटेज वापस आता हूं, तो तुम वहां खड़ी मिलती हो। अब वहां हमारे बहुत से साथी भी मौजूद हैं, जिनके कारण हमारा एकांत खत्म हो जाता है। मैं तुमसे कितनी जरूरी बातें करना चाहता था। आखिरी दृश्य में तुम एक कोने में जमीन पर चुपचाप लेटी हो और थकान, बोरियत तथा उदासी को नींद में डुबाने की कोशिश कर रही हो। मैं नीचे झुकता हूं कि तुम्हारे शरीर के खुले अंग कंबल से ढक दूं। मुझे जब कभी ऐसे सपने दिखाई देते हैं, मैं बहुत चिंतित हो उठता हूं, लेकिन तुरंत यह सोचकर कि यह तो बस सपना ही था, शांत भी हो जाता हूं।

नेल्सन मंडेला

No comments:

Post a Comment