मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया भर में करीब पांच लाख लोगों में एमडीआर (मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट) टीबी के नए मामले पाए गए हैं, जिनमें से ज्यादातर मामले चीन, भारत एवं रूस के हैं। टीबी के लिए सर्वाधिक प्रभावकारी दवाओं के खिलाफ यदि प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाए, तो उसे एमडीआर टीबी कहते हैं।
सामान्य टीबी के मुकाबले यह रोग काफी जटिल होता है। इसकी मुख्य वजह एंटीबायोटिक का गलत इस्तेमाल, टीबी की दवाओं को नियमित रूप से नहीं लेना, एमडीआर टीबी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहना या टीबी का आधा-अधूरा इलाज करवाना है। यदि किसी रोगी में एमडीआर टीबी विकसित हो जाए, तो वह अपने आसपास रहने वाले लोगों में इसका संक्रमण फैला सकता है।
आम तौर पर सामान्य टीबी का इलाज छह महीने तक चलता है, लेकिन यदि किसी मरीज में एमडीआर टीबी विकसित हो जाए, तो न केवल उसका इलाज लंबा चलता है, बल्कि वह ज्यादा खर्चीला भी हो जाता है। दो साल लंबे इस इलाज में हजारों रुपये खर्च हो सकते हैं, इसलिए गरीब देशों में सामान्य लोगों को इलाज में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
सामान्य टीबी कहीं एमडीआर टीबी में परिणत न हो जाए, इसके लिए जरूरी है कि जैसे ही टीबी होने का पता चले, तुरंत जांच करवा कर डॉक्टरों से उचित इलाज करवाना चाहिए, न कि केमिस्ट से दवा खरीदकर खुद इलाज शुरू करना चाहिए। दवाओं का नियमित सेवन करना चाहिए, सेहत में सुधार के लक्षण दिखते ही इलाज बंद नहीं करना चाहिए, बल्कि पूरा इलाज करवाना चाहिए। एमडीआर टीबी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर संक्रमण से बचने के लिए मास्क का प्रयोग करना चाहिए।
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